घपला, धांधली, हेरा फेरी, स्कैम, गोलमाल!
कोयला घोटाला, टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, स्टांप पेपर घोटाला, सत्यम घोटाला, बोफोर्स घोटाला, चारा घोटाला , 1992 का स्टॉक मार्केट घोटाला अजी हर्षद मेहता स्कैम। भारत में घोटालों की लंबी होती जा रही कतार में देश के अब तक के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले 22842 करोड़ रुपए के घोटाले का नाम जुड़ गया है।
सीबीआई ने गुजरात में जहाज निर्माण व जहाज मरम्मत का कारोबार करने वाली कंपनी के खिलाफ 22842 करोड रूपए की धोखाधड़ी करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। सीबीआई के अनुसार घोटाला करने वाली दो प्रमुख कंपनियां एबीजी शिपयार्ड और एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड है। इन कंपनियों ने 28 बैंकों से कर्ज लेकर कभी वापस ही नहीं किया। उन पैसों से सहयोगी कंपनियों के जरिए विदेशों में कई प्रॉपर्टीज और शेयर खरीदे, नियमों को ताक पर रखकर बैंकों के बड़े समूह को हजारों करोड़ का चूना लगाया।
घोटाले का समय अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 का बताया जा रहा है। इस मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 8 नवंबर 2019 को पहली बार शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद अब जाकर कंपनी पर छापेमारी हुई है। कंपनी के डायरेक्टर ऋषि अग्रवाल, संथानम मुथुस्वामी और अश्विनी अग्रवाल पर फंड के डाईवर्शन, वित्तीय अनियमिताअो, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी अधिकारिक दुरूपयोग जैसे अपराधो के लिए IPC और भृष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
इस मामले में सीबीआई की छापेमारी रविवार को खत्म हो गई।CBI कह रही है कि कोई भी आरोपी देश के बाहर नहीं है। सभी के बैंक खातों, लेन देन और संपतियों की जानकारी ली गई है। आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए हैं। गौरतलब है कि कंपनी के खाते को 2016 में ही NPA घोषित कर दिया गया था लेकिन कंपनी ने फंड का डायवर्शन जारी रखा। 2019 में शिकायत के बाद लंबी जांच चली। अब जाकर मामला सुर्खियों में आया है और कार्यवाही की जा रही है।
इस पूरे घोटाले मे SBI पर कई सवाल उठ रहे हैं।आरोप है कि बैंक ने जानबूझकर फर्जीवाड़ा केस में देरी की। हालांकि बैंक आरोपों को नकार रहा है।आरोपी तो घोटाला कर चुके, अब मुख्य भूमिका में सरकार और जांच एजेंसियां है। क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे, इतनी बड़ी रकम वसूली जा सकेगी?या फिर घोटालों की कतार और बढ़ती चली जाएगी?