अच्छा तो आप अपराध मुक्त यूपी के ध्वजवाहक हैं। लेकिन एक बात मेरे समझ नहीं आई, 20 फरवरी को जो तीसरे चरण का मतदान होना है, उसमें आपके 46% उम्मीदवारों पर आपराधिक मामला क्यों दर्ज हैं। किस हिसाब से आपने 25 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया जो किसी न किसी ना किसी आपराधिक मामले में लामबंद है। अपराध मुक्त यूपी करने के लिए कहीं आप का प्लान ये तो नहीं कि सभी अपराधियों को ही सरकार में बिठा दो। अरे भई सत्ता,पैसा, पावर मिलने के बाद कोई क्रिमिनल, क्रिमिनल थोड़ी ना कहलाता है!
उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच एवं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एडीआर की रिपोर्ट में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों की सूची जारी की गई है। कुल 623 लोग चुनाव लड़ रहे हैं जिनमें 135 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। सूची देखकर लगता है कि कोई भी पार्टी इस रेस में पीछे नहीं रहना चाहती। दागी उम्मीदवारों में सपा के 58 में से 30, भाजपा के 55 में से 25, बसपा के 59 में से 23, कांग्रेस के 56 में से 20 और आम आदमी पार्टी के 49 में से 11 प्रत्याशियों ने अपने ऊपर अपराधिक मामले घोषित किए हैं।
समाजवादी पार्टी इन सब में सबसे आगे निकलती दिख रही है। उसके लगभग 36% प्रत्याशियों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है। इस कैटेगरी में भी बाकी की पार्टियां पीछे लाइन में लगी हुई है। किसी एक उम्मीदवार पर सबसे ज्यादा मुकदमों की बात की जाए तो कांग्रेस के लुइस खुर्शीद सबसे आगे हैं। इन महाशय के विरुद्ध 17 मुकदमे दर्ज है। दूसरे स्थान पर 12 मामलों के साथ समाजवादी पार्टी के सैफुररहमान उर्फ छुट्टन भाई और तीसरे पर सपा के ही जुगेंद्र सिंह यादव 11 मामलों के साथ काबिज है।
जनता के प्रतिनिधि बनने की कतार में 2 उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जिन पर दुष्कर्म का मामला दर्ज है। दो उम्मीदवार हत्या के आरोपी है। इस तरह इस चरण में कुल मिलाकर 22% उम्मीदवार दागी है। नेताओं को अपने आदर्श के रूप में देखती जनता से मेरी गुजारिश है कि पहले ज़रा उनके आपराधिक रिकॉर्ड चेक कर ले फिर वोट डालने जाये।