चारा घोटाला के सबसे बड़े मामले डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी में बिहार के पूर्व CM और RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद को सोमवार को 1:30 बजे सजा सुनाई जाएगी। रांची में CBI के विशेष जज एसके शशि सजा का ऐलान करेंगे। बहस की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लालू यादव के वकील प्रभात कुमार ने बताया कि पूरी कार्रवाई के दौरान लालू प्रसाद चुपचाप बहस देख रहे थे। उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। क्या है पूरा मामला? क्यूँ इतने नाम वाले नेता आखिर हो रहे बदनाम? बताते हैं आपको।
दरअसल, यह पूरा मामला 139.35 करोड़ रुपये की निकासी का है. साल 1990-1992 के दौरान बड़े स्तर पर घोटाला हुआ था. इसमें पशुओं को स्कूटर और मोटरसाइकिल से ढोया गया था. अफसरों और नेताओं की मिलीभगत ने ऐसा घोटाला कर दिया कि 400 सांड़ो को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल से ढोया गया. इसका मतलब है कि पशु विभाग ने अपनी रिपोर्ट में जिन गाड़ियों का नंबर दिया था, वह मोटरसाइकिल और स्कूटर के नंबर थे।
सीबीआई की जांच में दावा किया गया है कि पशुओं के चारे, जैसे- बादाम, खरी, नमक, पीली मकई सरीखे कई टन वस्तुओं को स्कूटर, मोटरसाइकिल और उस जमाने में चलने वाली गाड़ी मोपेड का नंबर दिया गया था। जांच के दौरान पता चला कि इन दो सालों में 2 लाख 35 हजार में 50 सांड़, 14 लाख 4 हजार से अधिक की कीमत में 163 सांड़ और बछिया की खरीद हुई। साल 1996 में दर्ज इस मामले में कुल 170 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इनमें से 55 की मौत हो चुकी है, जबकि सात आरोपियों को सीबीआई ने सरकारी गवाह बनाया है. अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले ही दो आरोपियों ने आरोप कबूल कर लिया, जबकि छह आरोपी आज तक फरार हैं। मामले के अन्य प्रमुख आरोपियों में पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, बिहार के तत्कालीन पशुपालन सचिव डॉ. आर के राणा, बेक जूलियस और पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक केएम प्रसाद शामिल हैं. इससे पहले के चार मामलों में लालू प्रसाद यादव को सामूहिक रूप से सत्ताईस साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी है. हालांकि इन सभी मामलों में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है.
950 करोड़ रुपये का चारा घोटाला बिहार के पशुपालन विभाग में लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल के दौरान हुआ था. सीबीआई ने घोटाले की जांच के लिए 1996 में 53 अलग-अलग मामले दर्ज किए थे.