भारतीय पत्रकार और वाशिंगटन पोस्ट की कॉलमनिस्ट राणा अय्यूब पर चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग केस में, लगता है भारतीयों के विचारों की कमी हो गई थी। मामले को थोड़ी हवा देने संयुक्त राष्ट्र भी इस में कूद पड़ा है। दरअसल पत्रकार राणा अय्यूब पर करोड़ों रुपयों के मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं और प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में जांच कर रहा है।
ईडी के अधिकारियों के अनुसार राना अय्यूब ने कोविड, बाढ़ राहत और प्रवासियों के लिए तीन ऑनलाइन अभियान शुरू किए थे। राणा पर आरोप है कि उन्हे विदेशी चंदा विनियमन अधिनियम की मंजूरी के बिना विदेशी योगदान मिला। ED और इनकम टैक्स की कार्यवाही के बाद उन्होंने विदेशी चंदा वापस कर दिया। विदेशी चंदे को वापस करने के बाद भी उनके पास लगभग 2 करोड रुपए थे और इन 2 करोड रूपयों में से उन्होंने मूल उद्देश्य के लिए मात्र 28 लाख का उपयोग किया। बाकी की राशि उन्होंने गोवा की यात्रा जैसे निजी खर्चे के लिए इस्तेमाल की।
इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पत्रकार के 1.77 करोड रुपए कुर्क कर लिया और आगे की जांच शुरू कर दी। हालांकि पत्रकार ने खुद पर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया। कहा कि उनके बैंक स्टेटमेंट को गलत तरीके से पढ़ा गया है। इस बीच कल यानी 21 फरवरी को UN जेनेवा के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, जिसमें यह लिखा हुआ था कि पत्रकार राणा अय्यूब पर किए जा रहे न्यायिक उत्पीढन की भारतीय अधिकारियों द्वारा शीघ्र जांच की जानी चाहिए और इसे तत्काल रोकना चाहिए। इस मामले में जिनेवा में भारतीय मिशन ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि तथाकथित न्यायिक उत्पीड़न के आरोप बेबुनियाद और अनुचित है।भारत कानून के शासन को कायम रखता है। वही समान रूप से स्पष्ट है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। भारत की तरफ से यह भी कहा गया कि एक भ्रामक कहानी को आगे बढ़ाना संयुक्त राष्ट्र की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है।
यूएन के इस ट्वीट पर 11 हजार से ज्यादा कमेंट्स है। कई भारतीय ट्वीटर यूज़र UN द्वारा पत्रकार के समर्थन पर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि वाशिंगटन पोस्ट और दो और द टेलीग्राफ अखबारों ने राणा के समर्थन में फुल पेज स्टोरी की है। राणा ने वॉशिंगटन पोस्ट को धन्यवाद देते हुए लिखा कि इस मुश्किल समय में मैं अपने साथी कर्मचारियों और प्रकाशन का धन्यवाद करती हूं। वादा करती हूं कि मैं सच के लिए लड़ती रहूंगी।