मुंबई पुलिस की स्पेशल क्राइम यूनिट में डीसीपी रुद्र प्रताप सिंह बने अजय देवगन जब रुद्रः द ऐज ऑफ डार्कनेस के पहले एपिसोड में अपनी सीनियर से कहते हैं, ‘पूरा सिस्टम जुमलों पर चल रहा है’ तो डर लगता है कि यह बात सीरीज पर भी लागू हो जाए. धीरे-धीरे यह डर सही साबित होने लगता है. चालू फार्मूलों और जुमलों से गढ़े किरदार सामने आने लगते हैं.
सबसे पहले तो रुद्र के छह मिनट के इंट्रोडक्शन में ही आप समझ जाते हैं कि यह काबिल अफसर सिस्टम में अनफिट है. वह सस्पेंड होता है. उसके खिलाफ जांच बैठती है. फिर ऐसा केस आता है कि डिपार्टमेंट में उसके अलावा सुलझाने वाला नहीं मिलता. तब उसकी वापसी होती है. अपराध देखते ही वह सारा माजरा समझ जाता है. अब सिर्फ अपराधी के खिलाफ सबूत जुटाना बाकी है. यह सब आप तमाम क्राइम सीरीजों में इतना देख चुके हैं कि उबासी के लिए एक ब्रेक ले सकते हैं।
इस सीरीज में बता दें कुल मिला कर 6 एपीसोडस हैं, जो 55 मिनट से लेकर 58 मिनट तक की हैं। इस सीरीज में आपको हर एपिसोड में एक नई स्टोरी देखने को मिलेगी। इस सीरीज में आपको कई कैरिक्टर साइको पैथ मिलेंगे, अब उनसे अजय देवगन कैसे लड़ते और निपटते हैं, यह जानने के लिए आपको सीरीज देखनी पड़ेगी। हर एपिसोड में बार-बार हीरो या सुपर हीरो की तरह निकल कर आते हैं हमारे अजय देवगन। अपनी अंगुलियों में पैन को घुमाते हुए मामलों को चुटकी बजाते अपने दिमाग में हल कर लेता है।
क्या आप अजय देवगन के फैन हैं? कुल मिला कर यह ऐसी वेब सीरीज है, जो अजय के फैन्स के लिए है और इसमें उन्हें मजा आएगा. लेकिन अगर आप सीरीज की बनावट-बुनावट-कहानी और किरदारों पर जाएंगे तो थ्रिल कम हो जाएगा. मतलब यह कि दिमाग मत लगाइए. यहां हीरो होने के बावजूद अजय के जीवन की तस्वीर उबाऊ, नीरस और घिसी हुई रील जैसी है. अजय ओटीटी के हिसाब से कुछ अलग करते नहीं दिखते। वही अपनी फिल्मी इमेज के साथ अवतरित होते हैं. ऐसे में साफ है कि ओटीटी पर उनका इरादा नए मैदान में नया करिश्मा दिखाने से ज्यादा करियर की लाइफ-लाइन को लंबा खींचना है। सीरीज में मनोरंजन का ग्राफ एक समान नहीं है. वह तेजी से ऊपर-नीचे होता है।
तो दोस्तों अगर आप अजय देवगन के फैन नहीं हैं और उनकी हर अदा पर आपको प्यार नहीं आता है तो आप पूरे विश्वास के साथ रुद्र पर हंड्रेड परसेंट एंटरटेनमेंट का भरोसा नहीं कर सकते।