सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार फरवरी महीने में जीएसटी कलेक्शन 1,33,026 करोड़ रुपए रहा। पिछले साल के मुकाबले इस बार जीएसटी कलेक्शन में 18% की बढ़ोतरी हुई है। अब इससे आम आदमी क्या समझेगा? यही ना कि सरकार की अच्छी- खासी कमाई हो रही है। इन आंकड़ो की नज़र से देखें तो आम आदमी पर पड़ रहे इन अप्रत्यक्ष करों के बोझ को कुछ कम किया जा सकता है और नहीं तो कम से कम इसे बढ़ाने की उम्मीद तो नहीं की जा सकती, लेकिन यहाँ आपको थोड़ा संभलने की जरूरत है। एक बार फिर से महंगाई बढ़ने के संकेत मिले हैं।
जीएसटी काउंसिल कुछ दिनों में कुछ दिनों में होने वाली अपनी 47 वी बैठक में गुड्स एंड सर्विस टैक्स की न्यूनतम दर को 5% से बढ़ाकर 8% करने पर विचार कर सकती है। राज्यों के वित्त मंत्रियों का एक समूह (GOM) जीएसटी काउंसिल को इस महीने के आखिर तक अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है। इसमें सबसे निचले टैक्स स्लैब जो कि 5% का है उसको बढ़ाने और स्लैब को तर्कसंगत बनाने जैसे कई कदमों के सुझाव दिए जा सकते हैं।
यह बदलाव राजस्व बढ़ाने और क्षति पूर्ति के लिए केंद्र पर राज्यों की निर्भरता खत्म करने के लिए किया जा रहा है। जीएसटी व्यवस्था में कुछ उत्पादों पर छूट दी जा रही है। इन उत्पादों की सूची में भी काट छांट की जा सकती है। खाद्य तेल, मसाले, चाय, कॉफी, चीनी मिठाई और इंसुलिन जैसी जीवन रक्षक दवाओं समेत कई चीजें महंगी होने के अनुमान है।
वर्तमान में जीएसटी टैक्स स्लैब में 5%, 12% ,18%और 28% की कुल चार दरे है। आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं जैसे कि खाने के तेल, कोयला, अगरबत्ती, किराए पर ली गई मोटर कैब, जीवन रक्षक दवाएं, दिव्यांगों के काम आने वाली वस्तुओं आदि को सबसे निचले स्लैब में रखा गया है। जैसा कि माना जा रहा है, GOM टैक्स की न्यूनतम दर को 5% से बढ़ाकर 8% करने का प्रस्ताव रख सकता है। अगर इसे मान लिया जाता है तो स्वाभाविक तौर पर आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ेगी।