आज तारीख है 24 मार्च 2022। क्यों आज ही के दिन को दुनिया विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाती है?आज ही के दिन 1882 में जर्मन वैज्ञानिक रॉबर्ट कोच ने ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस की खोज की थी। तपेदिक या छय रोग के नाम की इस बीमारी के इलाज में रॉबर्ट कोच की खोज एक क्रांतिकारी कदम साबित हुई। टीबी दुनिया के सबसे घातक संक्रामक रोगों में से एक है।
सीने में दर्द, कमजोरी, बुखार, बलगम में खून आदि इसके लक्षण है और यह खाँसी, छींक या अन्य तरह के संपर्क संपर्क से फैलता है। हर दिन 4100 से ज्यादा लोग टीबी से अपनी जान गवाते हैं। अच्छी बात यह है कि टीवी का इलाज संभव है। हर साल सामने आने वाले टीबी के मामले भी लगातार कम हो रहे हैं। 2000 से 2019 के दौरान इलाज के जरिये छह करोड़ से ज्यादा टीबी के मरीजों की जान बचाई गई। UN ने 2030 तक दुनिया से TB को खत्म करने का लक्ष्य रखा है।