पटना में डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या 1841 हो गई है। इसमें सबसे अधिक गायघाट, मीनाबाजार, खाजेकला, अगमकुआं इलाके में मरीज है। डेंगू से पीड़ित कुम्हरार की 45 साल की सुषमा देवी की मौत हो गई। वह एक अक्टूबर को पॉजिटिव हुई थी। उनका प्लेटलेट्स 30 हजार पर आ गया था। बुखार समेत अन्य परेशानी होने पर परिजनों ने उन्हें चार अक्टूबर को कुर्जी अस्पताल में भर्ती कराया था। परिजनों की मानें तो इलाज शुरू हुआ तो स्थिति में सुधार हुआ।फिर अचानक रविवार से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और सोमवार को उनकी मौत हो गई। आपको बता दें डेंगू से सुषमा देवी की मौत की आधिकारिक तौर पर पुष्टि सिविल सर्जन कार्यालय ने नहीं की है।
253 नए मरीज मिले
उधर सोमवार को तीन बड़े सरकारी अस्पतालों में हुई जांच में डेंगू के 253 नए मरीज मिले हैं। इस बीच डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने स्कूल और कॉलेज के प्रचार्य को डेंगू से बचाव के लिए एंटी लार्वा रसायन का छिड़काव कराने और नगर आयुक्त को डेंगू से बचाव के लिए कड़े कदम उठाने के लिए पत्र लिखा है।

आपको बता दें कि 21 से 30 वर्ष के 720 युवा तो 10 वर्ष से कम के 91 बच्चे बीमार हैं।डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन, नगर निगम अब तक समुचित तरीके से फॉगिंग व दवा छिड़काव नहीं करा रहा है। हर दिन आधे वार्ड में ही फॉगिंग व दवा छिड़काव हो रही है, क्योंकि केमिकल की कमी थी। प्रति वार्ड 3.75 लीटर मैलाथियान और केमिफॉस केमिकल की जरूरत थी, लेकिन 2.5 लीटर ही केमिकल मिल रहा था।
मामलों में वृद्धि हुई तो केमिकल खरीदने का दिया आदेश
अब जब डेंगू के आंकड़े में बेतहाशा वृद्धि हुई है, तो डीएम के निर्देश पर केमिकल खरीदने का फैसला लिया गया है। निगम का कहना है कि तीन शिफ्ट में हर दिन हर वार्ड में फॉगिंग होगी। लेकिन इसमें भी एक समस्या है दरअसल अभी 75 फॉगिंग टेम्पो में करीब 35 खराब है। कहीं 10 तो कहीं 6 टेम्पो खराब हैं। आपको बता दें ये मशीनें 2019 में खरीदी गई थी और 3 साल में ही आधी खराब हो गई यही नहीं इनकी मरम्मत भी नहीं कराई गई। पाटलिपुत्र अंचल में 16 में से 9 टेम्पो में फॉगिंग मशीन से ही फॉगिंग हो रहा है। इन आंकड़ों से ये कहना गलत नहीं होगा कि प्रशासन की ढिलाही और लापरवाही की वजह से मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।