राजधानी भोपाल समेत मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम, बुंदेलखंड, बघेलखंड और ग्वालियर-चंबल बेल्ट में लगातार चार दिन से बारिश जारी है। नदी-नाले उफनाए हुए हैं और किनारों पर बाढ़ का खतरा है। अशोकनगर में बेतवा नदी पर बने राजघाट बांध के 18 में से 14 गेट खोल दिए गए हैं। MP-UP को जोड़ने वाली रोड के ब्रिज पर 4 फीट ऊपर पानी आ गया है। दोनों तरफ ट्रैफिक रोक दिया गया है।
श्योपुर में देर रात ढोढर क्षेत्र के माधो का डेरा गांव को जाने वाले रास्ते की पुलिया पर पानी आ गया। पानी में फंसने से 20 भैंसों की मौत हो गई। ग्रामीणों के अनुसार भैंस जंगल से लौट रही थीं। प्रशासन ने भी भैंसों की मौत होने की पुष्टि की है।
भोपाल में भदभदा से लेकर कलियासोत और कोलार डैम तक के गेट खोलने पड़े। भोपाल-मंडीदीप रोड पर समरधा के पास एक साल पहले ही बना पुल का बड़ा हिस्सा ढह गया। निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। तवा, नर्मदा, शिप्रा, बेतवा और पार्वती किनारे बाढ़ का खतरा है। पार्वती उफनाने से श्योपुर-काेटा हाईवे फिर बंद हो गया। रात 9 बजे तक खातौली पुल पर साढ़े आठ फीट पानी चल रहा था। चंबल नदी में भी सोमवार को काेटा बैराज के गेट खोलकर 152197 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे चंबल नदी और उफनाएगी। शिवपुरी में मड़ीखेड़ा बांध गेट खोलकर सिंध नदी में पानी छोड़ा जा रहा है। नदी किनारे से लोगों को दूर रहने को कहा गया है।
तालाब-डैम सब छलक उठे हैं। कलियासोत-भदभदा डैम के तो सभी गेट खुल चुके हैं, लेकिन केरवा डैम का एक भी गेट नहीं खुला है। यह डैम अभी भी 3 फीट खाली है, जबकि पिछले साल यही डैम सबसे पहले भरा था।