
UGC ने 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दिए गए सुझावों को लागू करने का काम शुरू कर दिया हैं। इसी के तहत UGC की ओर से भी 4 वर्षीय कोर्स शुरू करने के लिए सोमवार को घोषणा की जायेगी।
UGC 4 वर्षीय ग्रेजुएशन के लिए सभी तरह के नियम एवं निर्देश साझा करेगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन कोर्सेज में क्रेडिट सिस्टम लागू होगा जिसके तहत 160 क्रेडिट तक स्कोर वालो को ऑनर्स की उपाधी दी जाएगी।
नए नियम के तहत अब 4 वर्ष बाद ग्रेजुएशन की डिग्री दी जाएगी लेकिन जो छात्र शुरूआती के 6 सेमेस्टर में 75 फीसदी से अधिक हासिल करेंगे और आगे ग्रेजुएशन स्तर पर रिसर्च करना चाहते हैं, उन्हें 4 ईयर में रिसर्च सब्जेक्ट चुनने का मौका भी दिया जाएगा।

जिसके बाद उन्हें ग्रेजुएशन के साथ रिसर्च की डिग्री भी दी जाएगी। खुशी की बात यह हैं की को छात्र फिलहाल 3 वर्षीय ग्रेजुएशन कोर्स कर रहे हैं,वो भी ये 4 वर्षीय कोर्स कर सकेंगे।
इसके लिए UGC ने विश्विद्यालयो को कहा हैं की वे एक स्पेशल ब्रिज कोर्स तैयार किया। इसके अलावा एक मीडिया रिपोर्ट में UGC के अध्यक्ष के हवाले से बताया गया है कि, नई शिक्षा नीति में छात्र का इंटरेस्ट डेवलप करने के साथ साथ उसे स्पेशल फील्ड में रिसर्च में सक्षम बनाने की सिफारिस भी की गई हैं।
भारत में पढ़ाई करने वाले छात्र भी वैश्विक स्तर पर चलाए जा रहे पाठ्यक्रम की बराबरी कर सके और अपना भविष्य बनाने के ज्यादा और बेहतरीन मौके मिल पाएं।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर वेदव्रत तिवारी ने बताया की UGC ने अधिकारिक रूप से अभी तक इसकी घोषण नही की हैं।
इसके बावजूद 2022 से शुरू हुए सत्र में 4 साल के पाध्यकर्म में ही छात्रों का एडमिशन लिया जा रहा हैं।उन्होंने बताया की पश्चिमी देशों में ग्रेजुएशन के सभी पाध्यकार्म 4 के होंगे। इसी को देखते हुए 2020 में शिक्षा नीति के तहत भारत में भी 4 साल के पाठ्यक्रम करने की सिफारिश की गई थी,जिसे अब लागू किया जा रहा हैं।
उन्होंने बताया की नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के माध्यम से सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट का आयोजन किया गया था इसमें 67 यूनिवर्सिटी ने हिस्सा लिया था और इसी के माध्यम से छात्रों का एडमिशन लिया गया था।
इससे छात्रों को काफी फायदा मिलेगा और फिर आगे उन्हे मास्टर्स डिग्री लेने में भी आसानी होगी। इन कोर्सेज में क्रेडिट स्कोर सिस्टम लागू होगा वैसे जो छात्र नियमित 3 साल की पढ़ाई को पूरी करते हैं वो 4 साल में रिसर्च भी कर सकते हैं।
इस बीच अगर कोई छात्र पूरे 4 साल का कोर्स कंप्लीट नही करते हैं तो उन्हें ग्रेजुएशन की डिग्री नही दी जाएगी बल्कि उन्हें जितनी पढ़ाई की हैं, उसके आधार पर जैसे एक साल में सर्टिफिकेट कोर्स,2 साल में डिप्लोमा कोर्स और 3 साल में प्रोग्राम कोर्स का सर्टिफिकेट उपलब्ध करवाएगा।

आगे बताया गया की इस पाध्यकर्म को नए सिरे से निर्धारित किया गया हैं जिससे स्टूडेंट को काफी एक्सपोजर मिलेगा। इसमें आधुनिक अधौगिक,रोजगार,कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा जैसी विशेषताओ को समाहित किया गया हैं।
जिससे ये फायदा होगा की अगर कोई ग्रेजुएशन कर रहा हैं तो वह सामान्य डिग्री न लेकर उस विषय में अपनी विशेषताओं को निखार कर उसमे विशेषता हासिल कर सकता हैं।
जैसे हिंदी या अंग्रेजी विजय से ग्रेजुएशन कर रहा है,तो उसके साथ वो जर्नलिस्ट व कंटेंट राइटर जैसे कुछ अन्य में भी खुद को बेहतर कर सकता हैं और उसमे अपना भविष्य बना सकता हैं।
इस तरह की कुछ नई विशेषताओं का समन्वय इस नई पाधायकर्म में किया गया हैं, जो आने वाले समय में छात्रों को भविष्य निर्माण में काफी मददगार होगी।
ये आज कल के विद्यार्थियों के लिए काफी काम की खबर हैं जिससे वे अपने भविष्य को और अच्छे से समझ सकते हैं।
धन्यवाद