भारत में अगर किसी खेल को सबसे ऊपर रखा जाता है तो वो है क्रिकेट। जी हां भारत की हर गली में आपको क्रिकेट खेलते हुए लोग मिल जाएंगे।
क्रिकेट में आमतौर पर आप 2 तरह के स्पिनर का नाम सुनते हैं। फिंगर स्पिनर या फिर रिस्ट स्पिनर लेकिन आपने एक और नाम सुना होगा चाइनामैन बॉलर जी हां आज हम इसी पर बात करेंगे कि आखिर ये बॉलर कैसे होते हैं?
चाइनामैन नाम कैसे पड़ा? और सबसे पहले ऐसी गेंदबाजी किसने की? इन सभी सवालों का जवाब हम आपको देंगे।
सबसे पहले आपको बताते हैं कि चाइनामैन गेंदबाजी क्या होती है?
दरअसल जब कोई बाएं हाथ का गेंदबाज कलाई के सहारे गेंद को स्पिन कराता है, तो उसे चाइनामैन गेंदबाज कहा जाता है। चाइनामैन गेंदबाजों की स्वाभाविक गेंद, राइट हैंड बल्लेबाजों के लिए टर्न होती हुई अंदर की तरफ आती है।
तो वहीं लेफ्ट हैंड बल्लेबाजों के लिए टर्न होकर बाहर की ओर निकलती है। अगर सामान्य शब्दों में कहें तो ये भी लेफ्ट आर्म स्पिनर ही होते हैं।
सबसे पहले कब किया गया इस शब्द का इस्तेमाल
अब अगर बात करें कि सबसे पहले किस गेंदबाज ने इस तरीके की गेंदबाजी की या फिर पहली बार चाइनामैन शब्द का इस्तेमाल कब किया गया तो इसके लिए कई कहानियां हैं।
हालांकि, इससे जुड़ा पहला नाम दक्षिण अफ्रीका के चार्ली लेवेलिन का आता है। जो 19वीं सदी के आखिर में खेले थे। यही नहीं चार्ली लेवेलिन दक्षिण अफ्रीका से खेलने वाले पहले अश्वेत क्रिकेटर थे।
उन्होंने 1910 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे में अपनी गेंदबाजी से कमाल किया था।
उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई महान बल्लेबाज विक्टर ट्रम्पर और क्लेम हिल के विकेट गुगली से चटकाए थे और बाएं हाथ की कलाई स्पिन की ओर सबका ध्यान खींचा था।
इसके अलावा ऐसा माना जाता है कि 1920 के दशक में इस तरह की गेंदबाजी सबसे पहले इंग्लिश बॉलर रॉय किलनर और मॉरिस लेलैंड ने की। हालांकि इनके अलावा और भी कई कहानियां प्रचलित हैं।
आपको बता दें ये दोनों अपने करियर में एक समय इंग्लिश काउंटी क्लब यॉर्कशायर के लिए खेल चुके हैं। किलनर प्रथम विश्व युद्ध से पहले यॉर्कशायर से खेलते थे। वो कभी-कभी गेंदबाजी करते थे और ऑर्थोडॉक्स स्पिन करते थे।
तो वहीं किलनर की जीवनी में भी इस तरह की गेंदबाजी का जिक्र है। उनकी जीवनी मिक पोप ने लिखी है। जिसे लिखने में उनके भाई और और दोस्त नॉर्मन ने मदद की है।
इसके बाद उनकी इसी कला को सीखकर उनके एक साथी मॉरिस लेलैंड ने इस तरीके की गेंदबाजी की।
चाइनामैन बॉलिंग एक गाली है
तो वहीं इसके पीछे एक और कहानी है। दरअसल, चाइनामैन बॉलिंग स्टाइल नहीं है, बल्कि ये एक ‘गाली’ थी। जी हां जो बाद में गेंदबाजी की एक शैली बन कर क्रिकेट शब्दावली में शामिल हो गई।
अगर आसान भाषा में कहें तो चाइनामैन का अर्थ है चीन का व्यक्ति। वैसे तो क्रिकेट में चीन का कोई प्रभाव नहीं दिखा है, लेकिन मजे की बात है कि क्रिकेट का पहला चाइनामैन गेंदबाज चीनी मूल का था।
ये घटना 25 जुलाई 1933 की है,जब मैनचेस्टर में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट मैच खेला जा रहा था। वेस्टइंडीज की ओर से बाएं हाथ के स्पिनर एलिस एचॉन्ग गेंदबाजी कर रहे थे।
एचॉन्ग वैसे तो चीन के थे लेकिन वो वेस्टइंडीज से खेलते थे क्योंकि चाइना में क्रिकेट तो होती नहीं है। एचॉन्ग ने अपनी कलाई के सहारे एक गेंद टर्न कराई जो ऑफ से लेग की तरफ टर्न हुई।
उस वक्त उनके सामने बल्लेबाजी कर रहे इंग्लिश बल्लेबाज वाल्टर रॉबिन्स टर्न को समझ नहीं पाए और स्टंप हो गए। इसके बाद बल्लेबाज रॉबिन्स गुस्से में आ गए।
जब वो आउट होकर पवेलियन जा रहे थे तो उन्होंने अंपायर जे. हार्डस्टाफ से कहा, कि इस ब्लडी चैइनामैन ने मुझे भरमाया और मैं आउट हो गया। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर रिची बेनो ने भी इसका खुलासा किया था।
इसी के बाद एचॉन्ग की ऐसी गेंदों को चाइनामैन के तौर पर पहचान मिल गई। उसके बाद से जब भी कोई गेंदबाज इस तरीके की गेंदबाजी करता तो उसे चाइनामैन गेंदबाज कहा जाने लगा।
हालांकि इस थ्योरी पर भी सवाल उठते हैं। दरअसल क्रिकेट लेखक जाइल्स विलकॉक ने दावा किया था कि ‘चाइनामैन’ शब्द का प्रयोग एलिस एचांग से पहले भी किया जाता था।
इसके लिए उन्होंने पुराने अखबारों का हवाला दिया था। जाइल्स ने अखबारों के जरिए ये साबित करने की कोशिश की थी। उन्होंने ये स्पष्ट किया था कि यॉर्कशायर में 1910 से पहले ‘चाइनामैन शब्द को को प्रयोग में लाया गया था।
इस समय भारत बांग्लादेश के दौरे पर है जहां पर कुलदीप यादव ने अपनी फिरकी के दाम पर बल्लेबाजों को खूब नचाया। उन्होंने पहले टेस्ट मैच में 8 विकेट हासिल किए।
अगर इस वक्त विश्व क्रिकेट में देखें तो भारत के कुलदीप यादव और दक्षिण अफ्रीका तबरेज शम्सी के रूप में उम्दा चाइनामैन गेंदबाज हैं। शम्सी ICC की टी-20 रैंकिंग में नम्बर वन गेंदबाज हैं।