पीडियाट्रिक बिहेवियर हेल्थ इंट्रीग्रेशन प्रोग्राम की डायरेक्टर हसु वाल्केट का कहना है कि 3 साल का ऐसा बच्चा जो कॉलर चबाता है, वह 9 साल में नाखूनों को दांत से चबाने लगता है।

वहीं, जो बच्चा किशोरावस्था में स्कूल जाने के लिए संघर्ष करता है, वह एंग्जाइटी का शिकार हो सकता है।
मानसिक रोग से पीड़ित आधे से ज्यादा बच्चों को समय पर उपचार नहीं मिल पाता है।

अमेरिकी नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स की सितंबर की रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 24 साल के युवाओं में आत्महत्या का जोखिम सबसे ज्यादा होता है।
2020 से 2021 के सर्वे में सामने आया कि 10 से 14 साल की 16% लड़कियों ने आत्महत्या की है।