26 अप्रैल 1986 को यूक्रेन के चर्नोबिल में स्थित न्यूक्लियर पावर प्लांट में हुई घटना के चलते करीब 1.25 लाख लोग मारे गए।इस हादसे का प्रभाव इतना अधिक हुआ कि अभी तक चर्नोबिल में दोबारा बसने की किसी ने हिम्मत तक नहीं दिखाई है।यहां रहने वाले जीव-जंतु पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं।
36 साल पहले 26 अप्रैल 1986 को तत्कालीन सोवियत संघ के चेर्नोबिल के न्यूक्लियर पावर प्लांट में भयानक विस्फोट हुआ था। यह धमाका इतना विनाशकारी था कि कुछ ही घंटे में यहां काम करने वाले 32 कर्मचारियों की मौत हो गई थी जबकि न्यूक्लियर रेडिएशन से सैकड़ों कर्मचारी बुरी तरह जल गए थे। सोवियत संघ द्वारा इस हादसे को दुनिया से छिपाने की कोशिश गई। लेकिन स्वीडन सरकार की एक रिपोर्ट के बाद तत्कालीन सोवियत संघ ने इस हादसे को माना था। सोवियत संघ के बंटवारे के बाद चेर्नोबिल यूक्रेन में आ गया।
चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में खराबी आने की वजह से हादसा हुआ था। इस भीषण हादसे में संयंत्र की छत उड़ गई थी और रेडिएशन काफी दूर तक फैल गया था। दरअसल 26 अप्रैल को न्यूक्लियर पावर प्लांट में एक जांच की जानी थी। इस जांच के दौरान ही प्लांट में भीषण विस्फोट हुआ इस जांच के लिए एक कंट्रोल सिस्टम्स को बंद कर दिया गया जिसकी वजह से रिएक्टर खतरनाक स्तर पर असंतुलित हो गए।