लोग मेंटल रिलीफ या शौक के नाम पर कोकिन,शराब, सिगरेट,गांजा,तंबाकू जैसै नशा करते हैं लेकिन अब लोग ऑनलाइन नशा करने लगे हैं, इस नशे को करने के लिए मोबाइल फोन, हेडफोन और इंटरनेट की जरुरत पड़ती है।
इस ऑनलाइन नशे का नाम है Binaural beats जिसे लोग डिजिटल ड्रग के नाम से जानते हैं।
आइए जानते हैं क्या डिजिटल ड्रग? (Digital drug)
बाइनॉरल बीट्स एक म्यूजिक की एक कैटैगरी है जो यूट्यूब और स्पॉटीफाई जैसै प्लेटफॉर्म पर आसानी से उपलब्ध है।
बाइनॉरल का अर्थ होता है दो कान, वही बाइनॉरल बीट्स का अर्थ होता है दो कानों से सुना जाने वाला साउंड। Binaural beats दोनों कानों में अलग अलग सुनाई पड़ता है जिसे हमारा माइंड एक करने की कोशिश करता है। इसे सुनने के बाद लोग रिक्लैस और शांत महसूस करते हैं , कई लोगों के अनुसार इससे मांइड फोक्सड होता है।लोग इसे बार बार सुनते हैं, कब यह एक एडिक्शन का रुप ले लेता है पता ही नहीं चलता है।
कैसै काम करता है Binaural beats?
इस साउंड को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि दोनों कानों में अलग फ्रीकेंवसी की म्यूजिक सुनाई पड़ता है जिसे हमारा मांइड एक करने की कोशिश करता है।
Binaural beats 1,000 Hertz से नीचे की साउंड होती है, जिसे आमतौर इंसान नहीं सुनता है।
इसे सुनने पर दिमाग में ब्रेन बेव्स पैटर्न बनता है, ब्रेन बेव्स पैटर्न की मदद से दिमाग को तेज या धीमा कर सकते हैं।
जब आपके मांइड में दो अलग अलग साउंड सुनाई देता है आपका दिमाग इसे एक करने की कोशिश करता है, इन दोनों साउंड को मिलाकर एक धुन बनती है यह आपकी धुन होती है।
इसके बाद आपका मांइड रिलैक्स होने लगता है, यह साउंड कई लोगों के हार्ट बीट के साथ सिंक्रनाइज होने लगता है।

डिजिटल ड्रग का पहला मामला
डिजिटल ड्रग का पहला मामला 2010 में अमेरिका के ओक्लाहोला शहर में पाया गया, जहाँ 3 साल का स्टूडेंट नशे में धुत लग रहा था, क्लास टीचर ने जब एंक्वाइरी की तो पता चला कि वह बच्चा एक प्रकार म्यूजिक डाउनलोड करके सुन रहा है। इस म्यूजिक को उस बच्चे नै i- doser वेवसाईट से डाउनलोड किया था।
इसके बाद UAE और लेबनान जैसै देशों में इसे बैन करने की मांग होने लगी।
हलाकिं भारत में डिजिटल ड्रग से एडिक्शन का कोई मामला नहीं आया है, डिजिटल ड्रग को अमेरिका, ब्रिटेन,मेक्सिकों,ब्राजील, पौलैंड जैसै देश में काफी सुना जाता है।
क्या डिजिटल ड्रग नुकसान पहुंचा सकता है?
साइंटिस्ट के मुताबिक इसे सुनने के बाद लोगों का मूड चेंज हो जाता है। लेकिन कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है कि इसे सुनने से लोगों के मेंटल या फिजिकल हेल्थ पर नुकसान होता है। वैज्ञानिकों की माने तो युवा इसकी तुलना करने के लिए असली ड्रग जैसै शराब ,गांजा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
30 हजार लोगों पर रिसर्च किया गया जिसमें पाया गया कि 5.3% लोग इसे सुनना पसंद करते हैं जिसमें 60% पुरुष थे जिसकी उम्र 27 साल थी।
वही 11.7% लोगों ने माना कि इसे सुनने के बाद वे मनमुताबिक सपने देखने लगते हैं। 50% लोग इसे एक घंटे तक सुनते हैं और 12% लोग इसे दो घंटे सुनते हैं जो काफी किसी एडिक्शन से कम नहीं है।