
चारो तरफ दोस्त अंधेरी रात, बीच में आग और उसमे भुनी हुई मछलियां और सकहरी के लिए भुने हुए आलू। ऐसी वाली पिकनिक तो हम सभी ने की होगी।
पर क्या आपको पता हैं आज से लगभग 7.80 लाख साल पहले भी हमारे पूर्वज मछलियां पका कर खाते थे। जी हैं, यह नया खुलासा एक नई स्टडी में हुआ हैं।
एक मछली के दांत से जानकारी मिली, फिर ये जांच आगे बढ़ाई गई तो और भी बहुत कुछ पता चला।
7.8 लाख साल पहले से इंसान मिट्टी के ओवन में खाना पकाते थे। इस बात का पता तामचीनी मछली के दांत से हुआ हैं।
इजरायल के तेल अवीव में स्थित स्टीनहार्ट म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में काम करने वाले एक्सपर्ट इरीत जोहर ने कहा की अब तक बताया जाता था।
की इंसान खाना पकाने के लिए मांस हड्डियों को आग में फेंक देते थे। लेंकिन ये गलत हैं। उन्होंने मिट्टी के ओवन में खाना पकाना सीखा हैं।
मछलियां बनी आधार
जले हुए मछलियों के आधार पर शोधकर्ताओं ने पहले सुझाव दिया था कि मनुष्य 1.5 मिलियन वर्ष पहले मांस पका रहे थे।
लेकिन इसका मतलब ये नहीं की लोग खाने से पहले इसे गर्म कर रहे थें। जली हुई चीजों का मतलब ये नहीं की उसे पकाया गया हैं बल्कि इसका मतलब ये हैं की उसे आग में झोंक दिया गया हैं।

जोहर और उनके साथियों ने इजरायल के उत्तर जॉर्डन नदी में गेसेर बेनोट याकोव में 7,80,000 साल पुरानी जगह का अध्यन किया।
वहा कोई भी मानवी चीज नही मिली। पर इसकी उम्र और उस जगह के पत्थर के औजारों के आधार पर, निवासियों के होमो इरेक्टस होने की अधिक संभावना हैं।
शोधकर्ताओं का कहना हैं कि इस समय इंसान मछली को सीधे आग में नही फेकते थे बल्कि 390 और 930 डिग्री फारेनहाइट के बीच धीमी आग पर पकाते थे।
इससे ये पता चलता हैं कि इस समय हमारे पूर्वजों ने मिट्टी के चूल्हे पर मछली पकाना शुरू कर दिया था। शोधकर्ताओं ने मछली के दातों का गुच्छा देखा, पर कोई हड्डी नहीं उन जगहों के आस पास जहां एक बार आग लग गई हो।
ज्यादादार दांत दो प्रकार के थे, जो अपने पोषण और अच्छे स्वाद के लिए जानी जाती थी। इसलिए उन्होंने सोचा की मछलियो को कम आंच पर पकाया गया हैं।
जिससे सारे दांत सुरक्षित रखते हुए हड्डियां नरम हो जाती हैं और सड़ने का खतरा होता हैं। विशेष रूप से, परिमाण बताते हैं कि सिर्फ मछली को कच्चा नही खा रहे थे।
जबकि इसके सिर को आग में झोंक रहे थे। क्यूंकि दांतो के इनेमल ने बहुत अधिक तापमान के संपर्क में दिखाया।