भारत के करीब 80 लाख गरीबों तक पहुंचने वाला गेहूं सरकारी गोदाम में रखा-रखा खराब हो गया है. हरियाणा के सरकारी गोदामों में 42 हजार मीट्रिक टन गेहूं बीते दो सालों में बारिश की वजह से सड़ गया. मामले में अब भारतीय खाद्य निगम (FCI) और हरियाणा खाद्य आपूर्ति विभाग एक-दूसरे पर इसकी जिम्मेदारी थोप रहे हैं।

सरकारी गोदामों में गेहूं के सड़ने की कहानी की शुरुआत कैथल के पुंडरी के खुले सरकारी गोदाम से शुरु होती है. यह गोदाम खराब हो चुके गेहूं के बोरों से भरा पड़ा है. कुछ बोरे तो इतने खराब हो चुके हैं कि वो मिट्टी में मिल चुके हैं. तमाम ऐसे खराब गेहूं के बोरे रखे हैं जिन्हें अब कीड़े भी नहीं खा रहे।

खुले आसमान के नीचे रखे इन खराब गेहूं के बोरों को मीडिया की नजर से बचाने के लिए तिरपाल से ढक दिया गया है, लेकिन तिरपाल के अंदर रखे गेहूं के बोरों में पौधे तक उग आए हैं. यहां 3200. मीट्रिक टन गेहूं खराब हो चुका है।

FCI के मैनेजर रामअवतार से बातचीत की कि आप केवल पत्र लिखते रहे और यहां गेहूं खराब होता रहा तो उनका जवाब था कि ये गेहूं 2021 का है. पत्राचार के अलावा हम गेहूं भी उठाते रहे. इस सवाल कि जवाबदेही किसकी है, उनका जवाब था चूंकि इंसान ये गेहूं नहीं खा सकता है इसलिए हम सेंट्रल पूल में इसे शामिल नहीं कर सकते हैं।

ये हरियाणा फूड सप्लाई विभाग की गलती है. वैसे, यह कहकर क्या FCI अपनी जिम्मेदारी से बच सकती है. जवाब है नहीं.