हेट स्पीच के मामले पर सुप्रीम कोर्ट अब सख्त हो गया है। हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सांप्रदायिक आधार पर भड़काऊ बयान देने वाला जिस भी धर्म का हो, उस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसे बयानों पर पुलिस खुद संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करे। इसके लिए किसी की तरफ से शिकायत दाखिल होने का इंतज़ार न किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि अगर कार्रवाई करने में कोताही की जाती है तो उसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।
आपको बता दें याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला का कहना था कि मुसलमानों के खिलाफ लगातार हिंसक बयान दिए जा रहे हैं इससे डर का माहौल है लेकिन कोर्ट ने कहा कि नफरत भरे बयान मुसलमानों की तरफ से भी दिए जा रहे हैं। सभी मामलों में निष्पक्ष कार्रवाई होनी चाहिए।
जस्टिस KM जोसफ ने इस पर चिंता जताते हुए कहा, यह 21वीं सदी है। हम धर्म के नाम पर कहां आ पहुंचे हैं? हमें एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज होना चाहिए लेकिन आज घृणा का माहौल है। इस पर सिब्बल ने कहा कि लोगों ने ऐसे भाषणों पर कई बार शिकायत की है लेकिन प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता है।
आपको बता दें जस्टिस जोसफ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, कि IPC में हेट स्पीच फैलाने के खिलाफ धारा 153A, 295A, 505 जैसी कई धाराएं हैं लेकिन अगर पुलिस उनका उपयोग न करे तो नफरत फैलाने वालों पर कभी लगाम नहीं लगाई जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि याचिका में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की घटनाओं का हवाला दिया गया है। हम इन राज्यों को निर्देश दे रहे हैं कि वो ऐसे मामलों में तुरंत केस दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई करें। इसके लिए किसी शिकायत का इंतज़ार न करें।
आपको बता दें अगर देखें तो पिछले कुछ समय से हेट स्पीच का मामला बढ़ गया है जिसके मन में जो आ रहा है वो बोल दे रहा है। अगर अभी हाल में देखे तो बीजेपी नेता प्रवेश वर्मा ने बयान दिया था कि एक विशेष समुदाय का बहिष्कार किया जाए उन्होंने कहा अगर इनका दिमाग ठिकाने लगाना है तो इनका सम्पूर्ण बहिष्कार किया जाए।
यही नहीं अभी कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता शिवराज पाटिल ने भगवान कृष्ण को जेहादी बताया था उन्होंने कहा था कि कृष्ण जिहाद फैला रहे थे। तो ये कुछ हाल ही के बयान हैं जो हमने आपको बताया है अगर बयानों की लिस्ट निकालें तो इसकी फेहरिस्त बहुत लम्बी हो जाएगी।
ऐसे ही बयानों पर रोक लगाने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है। ऐसे में ये भी कह सकते हैं कि जो काम अब तक सरकार नहीं कर पाई उस काम को सुप्रीम कोर्ट ने किया जबकि अगर देखा जाए तो सरकारें चाहती तो ऐसे बयान देने वालों पर रोक लगा सकती थी और उन पर करवाई कर सकती थी।