हमारे देश की अदालतों में जमीन विवादों के कई मामले लंबित रहते हैं। गांवो में अधिकतर लोग जमीनी लड़ाई-झगड़ों में उलझे रहते हैं। अक्सर देखने में आता है कि लोग जान-पहचान में, दोस्ती- यारी में बिना कोई कागजी कार्यवाही के, बिना किसी एग्रीमेंट के लेनदेन कर लेते हैं या साझेदारी में व्यापार शुरू कर देते हैं और फिर जब आपस में व्यवहार नहीं बचता, दोस्ती में खटास पड़ जाती है। तब नित नये झगड़े उपजने लगते हैं। दोस्त, दोस्त का दुश्मन बन जाता है और आपसी रिश्ते भुला दिए जाते हैं।
कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है, शहडोल के धनपुरी से। यहाँ रहने वाले मुनव्वर अली ने अपने परिचित और दोस्त अब्दुल रशीद के खिलाफ शिकायत की है। उनका कहना है कि उनके द्वारा चलाई जा रही किराए की दुकान के मालिक अब्दुल रशीद दुकान खाली करने के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं और लगातार धमकियां दे रहे हैं। मुनव्वर अली ने शहडोल पुलिस अधीक्षक को लिखे पत्र में लिखा है कि अब्दुल रशीद को दुकान निर्माण के लिए 5 लाख बैंक लोन दिलाने में मदद की और लोन की ग्यारंटी भी दी।बाद में अब्दुल रशीद ने दुकान के ग्राउंड फ्लोर का निर्माण करवाया और उन्होंने दुकान किराए पर ले ली। इसके बाद भी अब्दुल रशीद और मुन्नवर अली के बीच कई बार लेनदेन हुआ। मुन्नवर अली ने लगभग 1 लाख 10 हज़ार रुपए अब्दुल रशीद को अलग-अलग समय पर उधार दिए जिसके बारे में अब्दुल ने कहा कि वह लौटा देगा या फिर किराये में एडजस्ट कर लेगा।
मूल विवाद साझेदारी में बनाई गई दुकान जिया फैशन हाउस के पूर्निर्माण के बाद हुआ। मुनव्वर अली का कहना है कि दुकान के निर्माण पर उनका भी काफी खर्चा हुआ है, फर्नीचर आदि बनवाने पर उनके 25-30 लाख खर्च हुए है। इतना ख़र्चा करने के बाद अब अचानक अब्दुल रशीद दुकान खाली करने की धमकी देने लगा है। दरअसल मुनव्वर अली के पास निर्माण कार्य कराये जाने संबंधी बिल तो है लेकिन कानूनी अग्रीमेंट नही है। उन्होंने अब्दुल रशीद को दोस्त मानकर अग्रीमेंट कराया जाना ज़रूरी नहीं समझा और इसी बात का फायदा उठाया अब्दुल रशीद ने।
अब्दुल रशीद कह रहे हैं कि मुनव्वर अली द्वारा उधार दिए गए पैसे ब्याज पर दिए गए थे। अब्दुल रशीद एक करोड़ 20 लाख रुपए में मुन्नवर को दुकान सौंपने की बात कर रहे है और नहीं देने पर दुकान खाली करने की धमकी के साथ ऑपरेशन शंखनाद के अंतर्गत जेल भेजने की धमकी दे रहे हैं। गौरतलब है कि मुनव्वर अली के पास दुकान निर्माण कराए जाने संबंधी सभी बिल मौजूद हैं और उनके द्वारा समय-समय पर दुकान का किराया भी भरा जाता रहा है। अब अचानक दुकान खाली कराए जाने के लिए धमकी दिया जाना और पैसों की मांग करना गलत है। पुलिस को इस मामले में दखल देकर मामले का तुरंत सही निपटारा करना चाहिए।