किताबो में आपने पढ़ा होगा कि हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है, कानून सर्वोपरि है और किसी को सज़ा सुनाने का काम यहाँ अदालत करती है। लेकिन आज-कल व्यवस्था में थोड़ा फेरबदल होना लग रहा है। यहाँ किसी की सज़ा जज साहब नही बल्कि एक बुलडोजर तय करती है। कही कोई घटना हुई घरों पर ताबड़तोड़ बुल्डोज़र चलवा दिया। कहा तो ये जाता है कि आरोपितो के अवैध कब्जो पर सख्त कारवाई की जायेगी लेकिन मध्य प्रदेश के खरगोन के खसखस वाड़ी इलाके में रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई झड़पों और पत्थरबाजी के बाद जिला प्रशासन द्वारा कार्रवाई में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने एक मकान को ही ध्वस्त कर दिया गया।
परिवार का दावा है कि उसके पास मकान के सभी वैध दस्तावेज मौजूद है और उन्हे सरकार से मकान बनाने के लिए ढाई लाख रुपये भी मिले थे।स्वामित्व की पुष्टि के लिए परिवार ने जो रिकॉर्ड पेश किए उनमें एक संपत्ति कर रसीद, तहसीलदार को एक आवेदन, एक पात्रता हलफनामा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक पत्र है जिसमें उन्हें पीएम आवास योजना का लाभार्थी होने पर बधाई दी गई है। हिंसा के असली गुनहगारो पर कारवाई सख्त ज़रूरी है लेकिन किसी एक व्यक्ति की सज़ा पूरा परिवार भुगते, ये कौनसा न्याय है। अपनी राजनैतिक रोटिया सेंकने के लिए सरकार खुद गुंडागर्दी पर उतर आई है।