दुनिया में डेयरी प्रोडक्ट की मांग तेजी से बढ़ रही है। खासकर गाय के दूध की डिमांड सबसे ज्यादा है। इसे पूरा करने के लिए और उत्पादन बढ़ाए रखने के लिए गायों को एंटीबायोटिक के इंजेक्शन बार-बार दिए जा रहे हैं।

नतीजा यह है कि एंटीबायोटिक गायों के दूध में रिसकर आने लगा है।अमूमन ऐसा नहीं होना चाहिए, लेकिन हेवी डोज के कारण यह स्थिति बन रही है। जब इस दूध का उपयोग लोग करते हैं तो उनके शरीर में इस एंटीबायोटिक की थोड़ी-थोड़ी मात्रा पहुंच रही होती है, जो इम्यूनिटी को प्रभावित करती है।

इससे बीमारी के वक्त उन्हें दिए जाने वाले एंटीबायोटिक असर नहीं करते हैं।कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की एक हालिया स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है। अधिकांश लोग गाय के दूध का बीमारी के वक्त ज्यादा उपयोग करते हैं।

ऐसे में बीमारी से बचाव के लिए दिए जाने वाले एंटीबायोटिक का असर कम हो जाता है।रिसर्चर डॉ रेनाटा इवानेक का कहना है कि दुनिया में ज्यादातर एंटीबायोटिक्स का उपयोग डेयरी उद्योग में ज्यादा प्रोडक्शन के लिए किया जा रहा है। वैश्विक स्तर पर एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटने के लिए गोवंश में एंटीबायोटिक के उपयोग को कम करना जरूरी है।

एंटीबायोटिक की अत्यधिक मात्रा गाय की आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की बढ़त को कम कर देते हैं। यह बैक्टीरिया जुगाली करने वाले पशुओं की आंतों में पाया जाता है। इसका असर दूध की गुणवत्ता पर पड़ सकता है।

गाय को एंटीबायोटिक्स इंजेक्शन लगाने का मामला कोई छोटा नहीं है. ये सीधा गाय और लोगों की सेहत से जुड़ा है. सिर्फ बाजार में दूध की मांग को पूरा करने के लिए पशुओं को लगाए जा रहे टीकों को लेकर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी ने एक रिसर्च भी की है. इस रिसर्च में बताया गया है कि अकसर जब लोग बीमार होते हैं, तभी गाय के दूध का इस्तेमाल करते हैं.

अगर बीमार इंसान भी गाय के दूध का सेवन करता है तो उस पर दवाईयों का कोई असर नहीं होता. इस रिसर्च में शामिल एक्सपर्ट डॉ. रेनाटा इवानेक ने बताया कि दुनिया में सबसे ज्यादा एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल डेयरी बिजनेस में ज्यादा दूध उत्पादन के लिए किया जा रहा है.

गाय और लोगों की सेहत के साथ-साथ दूध की क्वालिटी को ठीक करने के लिए इन एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल तुरंत कम करना होगा. रिसर्चर डॉ. रेनाटा इवानेक भी कहते हैं कि अगर वर्ल्ड लेवल पर एंटीबायोटिक्स के इन बुरे प्रभावों से निपटना है तो डेयरी सेक्टर की गायों पर भी एंटीबायोटिक्स इंजेक्शन या टीकों के इस्तेमाल पर रोक लगानी होगी.