इस दुनिया में इंसान पतले या फिर मोटे होते हैं। जो इंसान पतला होता है, वो मोटा होने के लिए तरह तरह के नुस्खे अपनाता है, तो वहीं जो मोटा होता है वो पतला होने की कोशिश करता है। बढ़ता वजन ना सिर्फ पर्सनालिटी को खराब बनाता है बल्कि कई तरह की बीमारियों का भी शिकार बनाता है। महिलाएं बढ़ते मोटापे को कंट्रोल करने के लिए सबसे ज्यादा जतन करती हैं। मोटापा को कम करने के लिए महिलाएं तरह-तरह के आयुर्वेदिक नुस्खें अपनाती है, कई तरह के डाइट पैटर्न को फॉलो करती हैं फिर भी उन्हें मनचाही बॉडी नहीं मिलती।
महिलाएं अपना वजन कम करने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग पर जोर देती हैं। वजन कम करने के लिए महिलाएं इसे सबसे बेहतर तरीका मानती हैं।
महिलाओं का मानना है कि इस फास्टिंग में वजन घटाने में वीकनेस नहीं होती। ये सच है कि वजन घटाने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग बेस्ट ऑप्शन हैं लेकिन एक रिसर्च में अब चौकाने वाली बात सामने आई है?
दरअसल हाल ही में, शिकागो में इलिनोइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मोटापे पर एक अध्ययन प्रकाशित किया जिसमें ये बात सामने आई है कि वेट लॉस करने का ये तरीका महिलाओं में इंफर्टिलिटी की परेशानी बढ़ा सकता है। तो आइए जानते हैं कि कैसे इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से महिलाओं में प्रजनन हार्मोन प्रभावित होता है?
आपको बता दें मोटापे से पीड़ित कुछ महिलाओं पर एक शोध किया गया है, जिसमें कुछ महिलाएं मेनोपॉज से गुजर रही थीं जबकि कुछ महिलाएं मेनोपॉज से पहले की थी। 8 सप्ताह तक इन महिलाओं ने इंटरमिटेंट फास्टिंग की। ये महिलाएं या तो वेरियर डाइट ले रही थीं या फिर इंटरमीटेंट डाइट पर थी। वेरियर डाइट में चार घंटे बाद खाना होता है जिसमें कैलोरी की गिनती नहीं होती। इसके बाद बिना पानी के एक दिन तक भूखा रहना होता है।
शोधकर्ताओं ने इन महिलाओं के हार्मोन लेवल की जांच की। 8 सप्ताह के बाद देखा गया कि दोनों तरह से फास्ट करने वाली महिलाओं के ग्लोबुलिन हार्मोन में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। यह एक प्रोटीन है जो रिप्रोडक्टिव हार्मोन में ट्रांसपोर्ट करता है। लेकिन ट्रायल के अंत में पाया गया कि मेनोपॉज और बिना मेनोपोज वाली महिलाओं में फर्टिलिटी हार्मोन में 15% की कमी आई है।
हालंकि इंटरमिटेंट फॉस्टिंग से महिलाओं को कुछ फायदे भी होते हैं जैसे कि वो इससे अपना शुगर लेवल कंट्रोल कर पाती हैं। लेकिन इसकी वजह से उन्हें और भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि इसकी वजह से पीरियड्स से जुड़ी समस्या भी हो सकती है, हड्डियां कमजोर हो सकती है तो वहीं मूड स्विंग जैसी और भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।