डा. जमशेद जे ईरानी उन प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने उदारीकरण के बाद भारतीय उद्योग की नींव को मजबूत बनाने में मदद की।
1992 में टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक के रूप में डा. ईरानी व रतन टाटा, जो एक साल से भी कम समय से टाटा स्टील के चेयरमैन थे, 1991 में भारत के आर्थिक उदारीकरण के बाद नए टाटा स्टील के संस्थापक थे।

1991 तक समाजवादी दर्शन के लंबे समय तक स्टील सेक्टर प्रशासनिक नियंत्रण में रहा। इसके कारण स्टील सेक्टर की तकनीक पुरानी, उच्च आपरेशन कास्ट सहित उत्पाद बाजार की जरूरतों के अनुरूप नहीं थे।
इसके कारण स्टील सेक्टर में ग्राहक भी कम थे। विश्व प्रसिद्ध सलाहकारों ने भी टाटा स्टील को अप्रतिस्पर्धी व अस्थिर करार दिया था। ऐसे समय में डा. ईरानी के नेतृत्व में टाटा स्टील में बड़े बदलाव हुए।

टाटा स्टील ने एक बयान में कहा, ‘भारत के ‘स्टील मैन’ का निधन हो गया है. अत्यंत दुख के साथ टाटा स्टील पद्म भूषण डॉ जमशेद जे ईरानी के निधन की सूचना दे रही है.’ उनका निधन 31 अक्टूबर 2022 को रात 10 बजे जमशेदपुर के टीएमएच (टाटा अस्पताल) में हुआ.

विदेश में शिक्षा ग्रहण करने और पेशेवर जीवन की शुरुआत करने के बाद, ईरानी 1968 में ‘टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी’ (अब टाटा स्टील) में शामिल होने के लिए भारत लौट आए. वह कंपनी से अनुसंधान और विकास के प्रभारी निदेशक के सहायक के रूप में जुड़े.

टाटा स्टील और टाटा संस के अलावा, डॉ ईरानी ने टाटा मोटर्स और टाटा टेलिसर्विसेज सहित टाटा समूह की कई कंपनियों के निदेशक के रूप में भी काम किया. ईरानी के परिवार में उनकी पत्नी डेज़ी ईरानी और उनके तीन बच्चे जुबिन, निलोफर और तनाज़ हैं.

ईरानी का जन्म दो जून 1936 को नागपुर में जिजी ईरानी और खोरशेद ईरानी के घर में हुआ. उन्होंने 1956 में साइंस कॉलेज, नागपुर से बीएससी और 1958 में नागपुर विश्वविद्यालय से भूविज्ञान में एमएससी पूरा किया. इसके बाद उन्होंने ब्रिटेन के शेफील्ड विश्वविद्यालय से धातुकर्म में परास्नातक और पीएचडी की उपाधि हासिल की.