देवभूमि उत्तराखंड के एक छोटे से शहर को अब लालच का पहाड़ कहा जा रहा। आदि शंकराचार्ये की तपस्वी स्थल जोशीमठ की भूमि लगातार धंस रही।

यहां क्या मकान,दुकानें और होटल्स सभी में बड़ी बड़ी दरारें आ गई हैं सभी लोग इस भयानक मंजर देख डरे सहमे में सरकार से मदद की गुहार लगा रहे उनके। अब तक 678 घरों में दरारें आ चुकी हैं।
ये जोशीमठ नही लालच का पहाड़ टूट रहा। इतनी संवेदनशील क्षेत्र में इतनी बड़ी इमारतें बनाने की परमिशन किसने दी। और अब तक किसी सरकारी अधिकारियों का इसपर ध्यान क्यों नहीं गया।
पर अब प्रशासन ने इन असुरक्षित भवनों को गिरने का काम शुरू कर दिया हैं। जोशीमठ बद्रीनाथ धाम का प्रवेश द्वार हैं। लेकिन आज यह बस पिकनिक स्पॉट बनकर रह गया हैं।
व्यवसायी लालच में आकर यह बिना जमीन की जांच करे ही बड़े बड़े होटल्स खोल दिए हैं। जिसका परिणाम आज उनके ध्वस्तीकरण के रूप में सामने आया हैं।

चमोली के डीएम ने भी पत्र लिखकर शासन का ध्यान इस निर्माण की ओर आकर्षित किया हैं।
बद्रीनाथ के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल का कहना हैं कि बद्रीनाथ धाम की तीर्थयात्रा तभी सफल मानी जाती हैं जब पहले नृसिंह भगवान के दर्शन कर लिए जाए।
जोशीमठ से बद्रीनाथ धाम की दूरी मात्र 45 किलोमीटर हैं। चारधाम यात्रा के दौरान जोशीमठ में लाखों श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालु यहां नृसिंह भगवान के दर्शन के बाद ही बद्रीनाथ धाम के लिए रवाना होते हैं।

होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा का कहना हैं कि प्रशासन ने उनके कोई होटल तोड़ने की सूचना नही दी और ना ही उन्हें कोई नोटिस मिला।
सालो पहले करोड़ों रुपए लगाकर उन्होंने होटल बनवाया था। सरकार अगर होटल गिराना चाहती हैं तो उन्हें मुआवजा भी दे। उन्होंने कहा, मुझे केंद्र और राज्य सरकार से बहुत तकलीफ हैं।
ये होटल जनहित में तोड़ा जा रहा तो कोई बात नहीं मैं प्रशासन के साथ हूं। बस मुझे नोटिस देना चाहिए और मेरा अर्धिक मूल्यांकन कर देना चाहिए उसके बाद मैं यहां से चला जाऊंगा।

वहीं, होटल माउंट व्यू के मालिक सुंदरलाल सेमवाल का कहना हैं कि हमे हमारे होटल तोड़ने की कोई नोटिस नहीं मिली। यहां हमारी आजीविका का साधन हैं, सरकार को हमारे लिए मुआवजे की व्यवस्था करनी चाहिए।
जिला मजिस्ट्रेट खुराना ने अपने की जिन इलाकों में इमारतें गिराई जाएंगी, उन्हे प्रशासन ने असुरक्षित क्षेत्र घोषित किया हैं।
एसडीआरएफ कर्मियों की मदद से लोगो के सामानों को दूसरी जगहों पर पहुंचाया जा रहा, लोग अपने घरों को खाली करते वक्त काफी दुखी और भावुक हो रहें।
इसी बीच जिला आपदा प्रबंधन से संबंधित बुलेटिन जारी किया गया हैं, बुलेटिन के मुताबिक जोशीमठ इलाके में कुल 678 इमारतों में दरारें पड़ी हैं।
सुरक्षा कारणों से अबतक 81 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया हैं। उत्तराखंड सरकार जोशीमठ के निवासियों के सुरक्षित स्थानों का प्रबंध कर रही व उन्हे उनके जमीन दिलाने की भी कोशिश कर रही।