पटना हाई कोर्ट ने एक महिला का घर तोड़े जाने के मामले में सुनवाई करते हुए बिहार पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस संदीप कुमार ने नाराजगी दिखाते हुए बोले कि बिहार पुलिस किसका प्रतिनिधित्व करती है, राज्य या किसी निजी व्यक्ति का?
तमाशा बना दिया गया है, किसी का भी घर बुलडोजर से तोड़ देंगे? क्या यहां भी अब बुलडोजर चलेगा?
दरअसल, बिहार में एक महिला के घर को तोड़ने का मामला सामने आया है।
इस मामले में कोर्ट ने अब अगली सुनवाई के दौरान पटना के पुलिस अधीक्षक, अंचल अधिकारी, पटना सिटी और अगमकुआं पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है।
क्योंकि कोर्ट ने मामले में पाया है कि पुलिस की तरफ से उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। घर को अवैध रूप से तोड़ गया है।
आपको बता दें कि, पटना के विजय नगर स्थित अगमकुआं पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी के खिलाफ एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी।
इसमें उसने आरोप लगाया था कि भूमि माफियाओं के कहने पर जमीन खाली करने के लिए उसके परिवार के सदस्यों पर झूठा मामला दर्ज किया गया और उसके घर पर बुलडोजर चला दिया गया। इन लोगों के कहने पर पुलिस ने उनका घर तोड़ दिया।
आपको बता दें ये मामला 15 अक्टूबर का है। याचिका दायर करने वाली महिला का नाम सहयोग देवी है, जिनका घर तोड़ा गया है। अब इस मामले की अलगी सुनवाई 8 दिसंबर को होनी है, जिसमें तमाम पुलिस आधिकारी व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे।
इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था। जस्टिस कुमार ने पुलिस से सवाल किया, ”ये कौन से ताकतवर लोग हैं जिनके लिए आपने बुलडोजर चलाकर किसी का घर तोड़ा? आप किसका प्रतिनिधित्व करते हैं?
कोर्ट ने ये भी सवाल उठाया कि क्या पुलिस थाने को भी भूमि विवाद के मामलों को सुलझाने की शक्ति दी गई है? अगर किसी को कोई दिक्कत है तो वो थाने जाएगा, रिश्वत देगा और किसी का घर तोड़ देगा?
आप कोर्ट, सिविल कोर्ट को बंद क्यों नहीं कर देते? कोर्ट ने ये भी आदेश दिया कि जिम्मेदार अधिकारी पीड़िता को 5 लाख रुपये देगा। महिला के वकील का कहना है कि पुलिस ने पहले ही आरोपी का मामला दर्ज कर गलती की है।
हालांकि देखना होगा कि इस केस में कोर्ट आगे क्या फैसला सुनाता है। अगर कोर्ट ये मान रहा है कि अधिकारी दोषी है तो फिर उन्हें और क्या सजा मिल सकती है।