क्या करवा चौथ का व्रत करने से पति की उम्र बढ़ती है? दोस्तो, आपको क्या लगता है? क्या सच में पति की उम्र बढ़ती है? यदि हां, तो फिर भारत के पुरुष सबसे ज्यादा उम्र तक क्यों नहीं जीते? और यदि ना, तो फ़िर महिलाएं ये व्रत क्यों करती है? आज फैक्ट के माध्यम से ये समझेंगे कि क्या सच में इस व्रत से पति की उम्र बढ़ती है।
हर हिंदू महिला बहुत श्रद्धा से करवा चौथ का व्रत करती है। इस व्रत की मान्यता है कि यह व्रत करने से पति की उम्र बढ़ती है। लेकिन विज्ञान के नजरिए से ये तर्क किसी भी तरह से फिट नहीं बैठता। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के आंकड़ों के हिसाब से भारत में पुरुषों का औसत जीवनकाल 2015 में 67 साल रहा है, वहीं भारतीय महिलाओं का औसत जीवनकाल पुरुषों से तीन साल ज्यादा यानी 70 साल का है। मतलब जो महिलाएं खुद अपने लिए करवाचौथ भी नहीं करती हैं वो ज्यादा जी रही हैं।
वहीं अगर दुनिया में बात करें तो स्विट्जरलैंड के लोग सबसे ज्यादा उम्र तक जिंदा रहते हैं वहां पर महिलाएं तो करवाचौथ का व्रत भी नहीं रखतीं। अगर 194 देशों में सबसे ज्यादा उम्र तक जिंदा रहने वाले पुरषों की बात करें तो भारत की रैंक 26 है यानी कई ऐसे देश हैं जहां करवा चौथ का व्रत नहीं होता वहां पुरुषों की औसत आयु भारत से ज्यादा है। अब हम आपको बताते हैं आखिर करवा चौथ व्रत क्यों मनाया जाता है। दरअसल हिन्दू धर्म में नारी शक्ति को शक्ति का रूप माना जाता है। कहते हैं कि नारी को यह वरदान है कि वो जिस भी कार्य या मनोकामना के लिए तप या व्रत करेगी तो उसका फल उसे अवश्य मिलेगा। खासकर अपने पति के लिए यदि वे कुछ भी व्रत करती है तो वह सफल होगा। पौराणिक कथाओं में एक ओर जहां माता पार्वती अपने पति शिवजी को पाने के लिए तप और व्रत करती है और उसमें सफल हो जाती है तो दूसरी ओर सावित्री अपने मृत पति को अपने तप के बल पर यमराज से भी छुड़ाकर ले आती है। यानी स्त्री में इतनी शक्ति होती है कि वो यदि चाहे, तो कुछ भी हासिल कर सकती है।
इसीलिए महिलाएं करवा चौथ के व्रत के रूप में अपने पति की लंबी उम्र के लिए एक तरह से तप करती हैं। करवा चौथ का व्रत करने के पीछे की कई कहानियां बताई जाती हैं। इसकी एक कहानी महाभारत काल से भी जुड़ी हुई मिलती है ऐसी मान्यता है कि द्रौपदी ने भी अपने पति की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए यह व्रत किया था। आपको बता दें जब अर्जुन नीलग्रि में तपस्या के लिए गए थे, तो बाकी पांडवों को उनकी अनुपस्थिति में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। तभी द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को उनकी मदद के लिए याद किया, जिन्होंने उन्हें याद दिलाया कि इसी तरह की स्थिति में पहले देवी पार्वती ने भगवान शिव के लिए व्रत रखा था। इससे प्रेरित होकर द्रौपदी ने भी अपने पतियों के लिए करवा चौथ का व्रत किया और फलस्वरूप, पांडव अपनी समस्याओं का सामना करने और उन्हें दूर करने में सफल हुए। इस कारण से पत्नियां अपने पति की लम्बी आयु और वो अपने जीवन में हर कठिनाइयों का सामना कर सकें इसके लिए व्रत रखती हैं। भले ही विज्ञान कुछ और तर्क दे लेकिन महिलाएं अपनी आस्था के कारण ये व्रत करती हैं और आस्था के आगे विज्ञान की नहीं चलती।