ब्राजील का सितारा पेले जिन्हें फुटबॉल का जादूगर कहा जाता है। इस महान फुटबॉलर की दीवानगी इतनी है कि इन्हें खेलते देखने के लिए गृह युद्ध तक रुकवा दिया गया था ।
आइए जानते हैं तीन बार के विश्व कप दिलाने वाले फुटबॉल के शहंशाह पेले के जीवन की कहानी। कैसे बना एक मजदूर विश्व का एक प्रसिद्ध फुटबॉलर । जो ब्लैक पर्ल, शहंशाह, फुटबॉल के जादूगर , आदि नाम से मशहूर है ।
आरंभिक जीवन
पेले का जन्म 23 अक्टूबर 1940 को ब्राजील के ट्रेस कोरकोएस शहर में हुआ था। पेले के पिता का नाम डॉनडीनहो था। जबकि उनकी माता का नाम डोना सेलेस्टी अरांटेस था।
पेले का पूरा नाम एडसन अरांटीस डो नैसीमेंटो है। लेकिन इन्हे हमेशा पेले के नाम से ही फुटबॉल जगत में पहचान मिली। वास्तव में इनका Nick नाम डीको था, किन्तु इनके पसंदीदा फुटबॉल खिलाड़ी “वास्को डा गामा ‘बिले’” के बाद से इनके दोस्तों ने गलत उच्चारण करते हुए इन्हें “पेले” कहना शुरू कर दिया. तभी से इन्हें पेले कहा जाने लगा ।
पेले के पिता भी फुटबाल के खिलाड़ी रहे थे। इसलिए बचपन से ही पेले की भी फुटबॉल के प्रति काफी दीवानगी थी। पेले का बचपन गरीबी में बीता था। उनके परिवार की आमदनी से घर खर्चा चलना भी बेहद मुश्किल था। ऐसे में पेले की पढ़ाई और फुटबॉल की कोचिंग तो बहुत दूर की बात थी। लेकिन पेले को एक फुटबॉल खिलाड़ी बनकर अपने पिता का और अपना सपना पूरा करना था।
एक तरफ उनका फुटबॉल खेलने का जुनून था दूसरी तरफ उनकी गरीबी इतनी थी कि उनके पास फुटबॉल खरीदने नहीं तक के पैसे नहीं थे। ऐसे में तमाम मुश्किलों के बावजूद पेले ने अपने मेहनत और लगन से ना सिर्फ अपना सपना पूरा किया बल्कि पूरी दुनिया में फुटबॉल के शहंशाह बन गये ।

फुटबॉल करियर
15 वर्ष की उम्र में उन्होंने सांटोस एफसी जूनियर टीम में दाखिला पाया। सीनियर टीम में जाने के पहले उन्होंने एक सीजन के लिये खेला।
क्लब
पेले ने सांटोस के लिये अपने पेशे की शुरूआत 7 सितम्बर 1956 को कोरिंथियन्स पर एक सद्भावना मैच में 7-1 से विजय में एक गोल बनाकर की। 1957 का सीजन शुरू होने पर पेले को पहली टीम में शुरूआती स्थान दिया गया और सिर्फ 16 की आयु में वे लीग के सबसे अधिक गोल बनाने वाले खिलाड़ी बन गए। पेशेवर रूप से हस्ताक्षर करने के केवल दस महीनों बाद ही उनको ब्राजील की राष्ट्रीय टीम में ले लिया गया।
राष्ट्रीय टीम
फुटबॉल के सितारे वाल्डीमार डी ब्रिटो द्वारा खोजे गए पेले ने 15 वर्ष की आयु में सांटोस के लिये और अपनी राष्ट्रीय टीम के लिये 16 वर्ष की आयु में खेलना शुरू किया और अपना पहला विश्व कप 17 वर्ष की उम्र में जीता ।
पेले का पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच अर्जेंटाइना के विरूद्ध 7 जुलाई 1957 में खेला गया था जो वे 2-1 से हार गए थे। उस मैच में पेले ने ब्राज़ील के लिये अपना पहला गोल किया था जब वे 16 वर्ष और 9 महीने की उम्र में अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल में गोल करने वाले सबसे छोटी उम्र के खिलाड़ी बने।
1962 में विश्व कप के बाद, रियल मैड्रिड, जुवेंटस और मैंचेस्टर युनाइटेड जैसे अमीर यूरोपियन क्लबों ने उस युवा खिलाड़ी को अपनी टीमों में शामिल करने का प्रयत्न किया लेकिन ब्राजील की सरकार ने पेले को देश के बाहर स्थानांतरित होने से रोकने के लिये उन्हें “अधिकारिक राष्ट्रीय संपदा” घोषित कर दिया ।

उपलब्धियां
- इंटरनैशनल ओलंपिक कमिटी द्वारा एथलीट ऑफ़ द सेंचुरी निर्वाचित: 1999
- यूनिसेफ (UNICEF) फुटबॉल प्लेयर ऑफ़ द सेंचुरी : 1999
- टाइम मैगज़ीन वन ऑफ़ द 100 मोस्ट इम्पोर्टेंट पीपल ऑफ़ द 20थ सेंचुरी: 1999
- फीफा (FIFA) प्लेयर ऑफ़ द सेंचुरी : 2000
- ब्रिटिश साम्राज्य के ऑर्डर के नाइट कमांडर का अवार्ड से उनको सम्मानित किया गया ।
- बीबीसी लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया है।
- सन 1999 में सदी के फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में IFFHS ने उन्हें वोट दिया ।
- अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति और रायटर्स न्यूज़ एजेंसी द्वारा “सदी के एथलीट” के रूप में निर्वाचित भी किया गया था ।
- सन 2010 में, वे न्यूयॉर्क के कॉसमॉस के आनरेरी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किये गये थे।
- पेले ने सांटोस के साथ अपना पहला खिताब 1958 में उनकी टीम की कैम्पियोनाटा पालिस्टा की जीत के साथ हासिल किया- उस टूर्नामेंट में पेले ने अविश्वसनीय 58 गोल बनाकर शीर्ष गोलकर्ता का स्थान लिया,[30] जो आज भी एक रिकार्ड है।
उनके मूल देश ब्राजील में पेले का राष्ट्रीय हीरो के रूप में सम्मान किया जाता है। वे फुटबॉल के खेल में अपनी उपलब्धियों और योगदान के लिये प्रसिद्ध हैं। उन्हें गरीबों की सामाजिक स्थिति को सुधारने की नीतियों के जोरदार समर्थन के लिये भी जाना जाता है (उन्होंने अपने 1000वें गोल को ब्राजील के गरीब बच्चों को समर्पित किया)
- वह तीन बार विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा बनने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं ।
- सन 2012 में, अपने खेल की उपलब्धियों के रूप में, उन्हें मानवीय और पर्यावर्णीय कारणों क्षेत्र में उनके योगदान के लिए एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से आनरेरी डिग्री से सम्मानित किया गया।