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Microplastic se nuksan kyon

हमारे चारो ओर फैला हुआ है मइक्रोप्लास्टिक – जाने इससे क्या खतरा है

by Shristi Singh
March 3, 2023
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माइक्रोप्लास्टिक पांच मिलीमीटर से छोटे प्लास्टिक के कण होते हैं।

इनका आकार एक तिल के बीज के बराबर हो सकता है।

प्लास्टिक अलग-अलग रास्तों से होकर समुद्र में पहुंच जाता है, जहां सूरज, हवा या अन्य कारणों से प्लास्टिक सूक्ष्म कणों में टूट जाता है, जो माइक्रोप्लास्टिक बनता है।

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माइक्रोप्लास्टिक हमारे चारों ओर फैला हुआ हैं, अभी तक बहुत से लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक मनुष्यों से लेकर समुद्री जीवों तक के लिए विनाशकारी हो सकता है, आज यह दुनिया भर के पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित कर रहा है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (नोआ) के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक 0.2 इंच (5 मिलीमीटर) से छोटे प्लास्टिक के कण हैं। देखने में इनका आकार एक तिल के बीज के बराबर हो सकता है।

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कहा से आते है माइक्रोप्लास्टिक

प्लास्टिक अलग-अलग रास्तों से होकर समुद्र में पहुंच जाता है।

जहां सूरज, हवा या अन्य कारणों से प्लास्टिक सूक्ष्म कणों में टूट जाता है, जो माइक्रोप्लास्टिक है।

हम रोजमर्रा के जीवन में जिन उत्पादों का उपयोग करते हैं जैसे कि टूथपेस्ट और चेहरे की स्क्रब में उपयोग किए जाने वाले कॉस्मेटिक (माइक्रोबायड्स) में भी माइक्रोप्लास्टिक होता है।

माइक्रोबायड में अक्सर पॉलीइथाइलीन प्लास्टिक होता है, हालांकि इनमें पॉलीस्टीरीन या पॉलीप्रोपाइलीन भी हो सकता है।

माइक्रोप्लास्टिक सिंथेटिक कपड़ों से भी आता है।

यदि आप अगली बार कपड़े खरीदते समय इन नामों को देखें, तो आप समझ जाएं कि ये उत्पाद मानव निर्मित हैं और इनमें माइक्रोप्लास्टिक है- नायलॉन, स्पैन्डेक्स, एसीटेट, पॉलिएस्टर, ऐक्रेलिक, रेयान आदि।

जब भी आप इन कपड़ों को धोते हैं, तो वे अपने कुछ रेशे छोड़ते हैं, जो वाशिंग मशीन से निकलने वाले पानी में बह जाते हैं, जो बाद में सूक्ष्म कणों में टूट कर माइक्रोप्लास्टिक बन जाता है।

Plastic
Plastic, pollution

माइक्रोप्लास्टिक के ये छोटे कण बैक्टीरिया और लगातार कार्बनिक प्रदूषकों (पीओपी) के वाहक के रूप में काम करते हैं।

पीओपी जहरीले कार्बनिक यौगिक होते हैं, जो प्लास्टिक की तरह होते हैं, जिन्हें नष्ट होने में सालों लग जाते है।

इनमें कीटनाशक और डाइऑक्सिन जैसे केमिकल शामिल हैं, जो उच्च सांद्रता में मानव और पशु स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

माइक्रोप्लास्टिक समुद्री जीवन को कैसे प्रभावित करता है?

रॉयल मेलबोर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आरएमआईटी) विश्वविद्यालय और हैनान विश्वविद्यालय के एक लैब-आधारित अध्ययन से पता चला है।

कि प्लास्टिक के सूक्ष्म और दूषित केमिल के 12.5 फीसदी कण मछलियों तक पहुंच जाते हैं जो उन्हें भोजन समझ कर निगल जाती हैं।

जो उन्हें काफी नुकसान पहुंचाती हैं, यहां तक ये मर भी जाती हैं।

वैज्ञानिकों ने उत्तरी फुलमार के समुद्री पक्षियों के मल में 47 फीसदी तक माइक्रोप्लास्टिक के कण पाए जाने की बात कही।

माइक्रोप्लास्टिक के प्रभाव से कछुए और अन्य समुद्री जीव भी अनछुए नहीं हैं।

माइक्रोप्लास्टिक का मनुष्यों पर प्रभाव

City University team one of the first to check presence of #microplastic pollutants in storm drains
Researchers also found high levels of toxic plasticiser which can affect human, animal development#techforgood #techcrunch #technologyrocks #techsavvy #techblog pic.twitter.com/nAbJCxTEIy

— Bigwoice (@bigwoice) January 3, 2023

समुद्री जीवों के द्वारा माइक्रोप्लास्टिक निगला जा रहा है, उन्हीं जीवों को समुद्री भोजन (सी-फूड) के रूप में मनुष्यों द्वारा खाया जा रहा है।

यहां तक कि अगर आप समुद्री भोजन नहीं भी खाते हैं, तो आप अपने पीने के पानी के माध्यम से एक या दूसरे स्थान पर माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आ गए हैं।

अब तो माइक्रोप्लास्टिक के कण वातावरण की हवा में भी हैं जहां आप सांस लेते हैं।

जब कार और ट्रक चलते है तो इनके टायरों से निकलने वाली धूल में इन कणों की मात्रा 0.71 औंस (20 ग्राम) है, जिसमें प्लास्टिक स्टाइलिन-ब्यूटाडीन होता है।

हांलाकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सुझाव दिया है कि माइक्रोप्लास्टिक का मानव स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं है।

एनवायरनमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल के एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि लोग हर साल 39,000 से 52,000 माइक्रोप्लास्टिक के कणों को निगल जाते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक कि निगलने के कई खतरे हैं।

उदाहरण के लिए, बिस्फेनॉल ए (बीपीए) से व्यवहार में परिवर्तन और रक्तचाप में वृद्धि हो सकती हैं।

पीबीडीई के कारण मनुष्यों में अंतःस्रावी व्यवधान और तंत्रिका प्रणाली पर असर हो सकता है, साथ ही यकृत और गुर्दे को भी नुकसान हो सकता है।

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