एग्जाम छोड़कर कुश्ती लड़ने चले जाते थे। कवि सम्मेलन में अकड़ दिखा रहे दरोगा को मंच पर ही पटक दिया था। सियासत के भी बड़े अखाड़ेबाज बने, विरोधियों को चित किया। सियासी और निजी जिंदगी आसान नहीं थी, पर लड़ते रहे। मौत सामने आई तो उससे भी दो-दो हाथ किए। ये थे मुलायम सिंह यादव, समाजवादियों ही नहीं पूरे देश के नेताजी।

मुलायम ने तब के बड़े दलित नेता कांशीराम के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया। मुलायम के इस मास्टर स्ट्रोक का असर चुनावी रिजल्ट पर भी दिखा। 422 सीटों वाली विधानसभा में सपा-बसपा गठबंधन को 176 सीटें मिली, जबकि भाजपा बहुमत से दूर हो गई।