समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर को निधन हो गया। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव अपने कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए याद किए जाएंगे। उन्होंने भारतीय राजनीति को न सिर्फ नई दिशा दी बल्कि समाजिक परिवर्तन की इबारत भी लिखी। उन्होंने महिलाओं को सियासत में भागीदारी दिलाने के लिए निरंतर आवाज बुलंद किया।

इटावा के सैफई में किसान परिवार में जन्म लेने वाले मुलायम सिंह यादव अखाड़े में दांव लगाते- लगाते सियासी फलक पर छा गए। 24 फरवरी वर्ष 1954 में मात्र 15 वर्ष की उम्र में समाजवाद के शिखर पुरुष डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर नहर रेट आंदोलन में पहली बार जेल गए। वह केके कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए। आगरा विश्वविद्यलाय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर करने के बाद इंटर कॉलेज में शिक्षक भी बने और फिर त्यागपत्र दिया और अपने गुरु चौधरी नत्थूसिंह की परंपरागत विधानसभा सीट जसवंत नगर से 1967 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
उन्होंने अपने जीवन में कई ऐसे फैसले लिए, जिसकी वजह से उनके न रहने पर भी लोग याद करेंगे। अपने राजनीतिक सफर में पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों के हित की अगुवाई कर अपनी पुख्ता राजनीतिक ज़मीन उन्होंने तैयार की। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई ऐतिहासिक फैसले भी लिए, जिसके लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे।
1989 में पहली बार बने मुख्यमंत्री
1989 में मुलायम सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अयोध्या में मंदिर आंदोलन तेज हुआ तो कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया। इसके बाद उन्हें मुल्ला मुलायम तक कहा गया। लेकिन उन्होंने इसकी परवाह कभी नहीं की। अपने 79वें जन्मदिन पर मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि मुख्यमंत्री रहते देश की एकता के लिए कारसेवकों पर गोलियां चलवाई थी। अगर वह अयोध्या में मस्जिद नहीं बचाते तो ठीक नहीं होता क्योंकि उस दौर में कई नौजवानों ने हथियार उठा लिए थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री काल में देश की एकता के लिए कारसेवकों पर गोलियां चलवानी पड़ी।

तो वहीं पिछड़ों के हक के लिए निरंतर संघर्ष करने वाले मुलायम सिंह यादव ने एक वक्त ऐसा भी आया जब मंडल कमीशन के विरोधी खेमे में खड़े नजर आए। मंडल कमीशन रिपोर्ट नामक पुस्तक की भूमिका में चंद्रभूषण सिंह ने लिखा है कि जब लालकृष्ण आडवाणी कमंडल लेकर निकले तो चंद्रशेखर ने मंडल लागू न करने संबंधी बयान दे दिया। इसके बाद जनता दल में विद्रोह शुरू हुआ। मुलायम सिंह मंडल विरोधी चंद्रशेखर के साथ खड़े हुए थे। इसे लेकर मुलायम सिंह की आलोचना भी हुई, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह भी नहीं की।
3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे
आपको बता दें वो 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। पहली बार पांच दिसंबर 1989 से 24 जून 1991 तक तो वहीं दूसरी बार पांच दिसंबर 1993 से 3 जून 1995 तक और तीसरी बार 29 अगस्त 2003 से 13 मई 2007 तक मुख्यमंत्री रहे। यही नहीं वो एक जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक भारत के रक्षा मंत्री रहे।
2 बार प्रधानमंत्री बनने से चूके
यही नहीं वो 2 बार भारत के प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए। दरअसल 1996 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए थे। उस समय लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। बीजेपी को इस चुनाव में 161 सीटें मिली थीं, लेकिन बहुमत से दूर होने के चलते 13 दिन बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सवाल खड़ा हुआ कि अब नई सरकार कौन बनाएगा। मुलायम सिंह यादव नाम आगे आया तो लालू यादव और शरद पवार ने उनका विरोध कर दिया। इसके चलते मुलायम सिंह यादव के नाम पर सहमति नहीं बनी। इसके बाद एच डी देवगौड़ा पीएम बने और मुलायम सिंह यादव उनके मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री बने।
तो वहीं दूसरी बार 1999 में फिर लोकसभा चुनाव हुए। मुलायम सिंह संभल और कन्नौज सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे। इस दौरान उनका नाम फिर प्रधानमंत्री पद पर आगे आया, लेकिन अन्य यादव नेताओं ने समर्थन नहीं किया। इसके बाद वे फिर पीएम बनने से चूक गए। मुलायम सिंह यादव दो बार पीएम बनने से चूके। उन्होंने कई बार इसका जिक्र भी किया। उन्होंने एक बार कहा था कि वे प्रधानमंत्री बनना चाहते थे. लेकिन, लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और वीपी सिंह के कारण प्रधानमंत्री नहीं बन पाए।