क्या आपने कभी सोचा है कि आने वाले कुछ समय में बच्चे मशीन से पैदा होंगे? आप अपने बच्चे को मोडिफाई भी कर सकेंगे यानी अगर गोरा बच्चा चाहिए तो आपका बच्चा गोरा ही होगा। जी हां अब आप सोच रहे होंगे कि ये किसी मूवी के सीन जैसा लग रहा है? लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि हकीकत में ऐसा होगा।
दरअसल साल 1999 में एक हॉलीवुड फिल्म ‘मैट्रिक्स’ आई, जिसमें दिखाया गया था कि एक फैक्ट्री में इंसान पैदा किए जा रहे हैं।
महिला गर्भ के बिना होंगे बच्चे पैदा
इस फिल्म ने दुनिया भर के लोगों को हैरान किया था। लेकिन क्या आपको लगता है कि महिला गर्भ के बिना बच्चों को पैदा करना संभव है? आज हम इसी पर बात करेंगे।

साइंटिस्ट और फिल्ममेकर हाशम अल-घाइली ने इस सवाल का जवाब ‘हां’ में दिया है। घाइली ने दावा किया है कि जल्द ही उनकी कम्पनी इक्टोलाइफ में एक पॉड यानी एक तरह के मशीन में बच्चा पैदा करना संभव होगा।
महिलाओं की कोख से नहीं अब फैक्ट्री में एक मशीन से बच्चे पैदा होंगे। आपको सुनकर ये थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन यही सच है। दरअसल, जापान, बुलगेरिया और साउथ कोरिया समेत कई सारे विदेशों में बच्चों को मशीनों द्वारा पैदा करने की ये फैक्ट्री लगाई जाएगी।
9 महीने 400 बच्चे पैदा होंगे
जिसमें नौ महीने के अंदर करीबन एक साथ 400 बच्चे पैदा होंगे और अलग-अलग देशों को मिलाकर साल में करीब 30,000 बच्चे पैदा होंगे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक एक्टोलाइफ कम्पनी करीब 75 लैब बनाएगा और हर लैब में 400 बेबी पॉड होंगे। ये पॉड बच्चे को वही अहसास कराएंगे जो बच्चे को मां के गर्भ में उसे होता है।
साथ ही माता-पिता एक एप के द्वारा बच्चों के विकास पर घर बैठे नजर रख सकेंगे। यदि बच्चों के विकास में कुछ गड़बड़ी होगी तो एप समय रहते ही जानकारी दे देगा। नौ महीने पूरे होते ही एक स्विच प्रेस करते ही बच्चे की डिलीवरी हो जाएगी और वो बाहर आ जाएगा।
अब आप के हिसाब से होगा बच्चे का चेहरा और रंग
कृत्रिम गर्भ सुविधा में माता-पिता के लिए अलग-अलग पैकेज होंगे रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका एक एलाइट पैकेज भी होगा जिससे अभिभावक ये तय करेंगे कि उन्हें बच्चे का चेहरा, रंग, लंबाई कैसी चाहिए?

इस पैकेज के तहत उन्हें 300 से ज्यादा जीन में से कोई एक चुनने की सुविधा मिलेगी। इनमें से 9 जीन को एडिट करके अपने मन मुताबिक बच्चा पा सकेंगे।
बेबी पॉड क्या है
आपको बता दें बेबी पॉड एक तरह की मशीन है, जो बच्चे को बिल्कुल मां की कोख की तरह अहसास कराएगी। इसीलिए इसे कृत्रिम गर्भ भी कहते हैं। ये मशीन वो सारे काम करेगी जो बच्चेदानी करती है।
जिस तरह से गर्भ में प्लेसेंटा के जरिए बच्चे को पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलती है। इसी तरह मशीन में भी एक कृत्रिम प्लेसेंटा होगी जो बच्चे तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाएगी। इसका एक निश्चित तापमान होगा।
ये मशीन बनने क्या होगा फायदा और नुकसान
जिस पर नजर रखने के लिए मॉनीटर होगा। इसी मॉनीटर में बच्चे की हार्टबीट, उसके विकास आदि पर नजर रखी जाएगी। हालांकि अभी तक ये दावा किया जा रहा है और इस पर रिसर्च लगातार जारी है।

अगर ये मशीन बनती है तो इससे फायदे भी होंगे अगर कोई कपल बच्चा चाहता है लेकिन बच्चा करने में सक्षम नहीं है तो उसे अपना बच्चा मिलेगा। इसके अलावा जो स्त्री बच्चा तो चाहती है लेकिन गर्भवती नहीं होना चाहती उनको भी फायदा मिलेगा।
इसके अलावा दिव्यांग यानी अंधा, लंगड़ा या फिर इस तरीके के बच्चे पैदा होने की गुंजाइश कम होगी। तो वहीं अगर इसके नुकसान की बात करें तो इससे जनसंख्या विस्फोट हो सकता है।
मशीन से पैदा होने वाले बच्चे भले ही दिमाग से तेज होंगे लेकिन उनके अंदर इमोशन की कमी हो सकती है।
लेकिन अब देखना होगा कि क्या विज्ञान इसमें सफल होगा कि नहीं?