सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया। अदालत ने PMLA के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी मनमानी नहीं है।
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने PMLA के उन प्रावधानों की वैधता को कायम रखा है, जिनके खिलाफ आपत्तियां लगाई गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी v/s यूनियन ऑफ इंडिया केस में फैसला सुनाया। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम, महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत 241 याचिकाकर्ताओं ने PMLA के तहत ED द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती दी थी।