हर कोई कभी न कभी ये जरूर बोलता है कि मेरा समय बर्बाद न करो। तुम्हारी बातें सुनने लायक नहीं है। इसे सुनकर मेरा समय बर्बाद हो रहा है। लेकिन क्या होगा अगर ये बात सुप्रीम कोर्ट कहे।
जी हां सुप्रीम कोर्ट के पास भी एक ऐसा मामला सामने आया है जहां पर कोर्ट को ही कहना पड़ा कि इससे कोर्ट का समय बरबाद हुआ है। जिसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर फाइन भी लगा दिया।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में मुआवजे की मांग को लेकर एक ऐसा मामला आया, जिसे सुनकर कोर्ट सख्त नाराज हो गया और याचिकर्ता पर भारी जुर्माना ठोक दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई है जिसने गूगल इंडिया के खिलाफ अर्जी दाखिल कर 75 लाख रुपये मुआवजा मांगा था।

आपको बता दें याचिकाकर्ता ने कहा था कि यूट्यूब पर न्यूडिटी कंटेंट वाले विज्ञापन हैं जिससे उसका ध्यान भंग हुआ और वो MP पुलिस की परीक्षा में फेल हुआ था। इस याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद-19 (2) के तहत इस तरह के विज्ञापन पर रोक की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा कि अगर विज्ञापन पसंद नहीं आता है तो आप उसे नजरअंजाद करें और न देखें। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपकी याचिका ऐसी है जिस कारण आपको अदालत का समय जाया करने के लिए हर्जाना देना होगा.
याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया ताकि बाकी लोगों के लिए ये सबक हो। और लोग इस तरह की याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट न आएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका से अदालत का समय बर्बाद होता है।
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अनुच्छेद-19 (2) के संदर्भ में अब तक दाखिल किसी भी याचिका में ये सबसे कमजोर याचिका है।
अदालत ने सवाल किया कि क्या आपको इसके लिए मुआवजा चाहिए कि आप नेट देखने के कारण एग्जाम में फेल हो गए? कंटेट में सेक्सुअल सामग्री थी और इस कारण आपका ध्यान भंग हो गया और कोर्ट आ गए कि आपको मुआवजा चाहिए?
उधर अदालत के जुर्माने के आदेश पर याचिकाकर्ता ने कहा कि उनके पैरेंट्स मजदूर हैं उन्हें माफ किया जाए।
लेकिन यहां पर एक सवाल ये भी उठता है कि जब ये याचिका इतनी कमजोर थी तो ऐसी याचिका को दाखिल ही क्यों किया गया?
इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि आपने पब्लिसिटी के लिए ऐसा किया और आपको लगता है कि आपको माफ कर दिया जाए लेकिन आपको माफी नहीं मिलेगी और फिर कोर्ट ने याचिकाकर्ता की हर्जाने राशि को घटा दी और उसे निर्देश दिया कि वो 25 हजार रुपये जुर्माना राशि जमा करे।
सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया गया कि याचिकाकर्ता के पास रोजगार तक नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिकवरी की जाएगी।