दिपावली पर पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर राज्य सरकारों ने गाइडलाइन जारी की हुई हैं. जहां कुछ राज्यों ने पटाखों पर थोड़ी बहुत ढ़ील के साथ प्रतिबंध लगाया है तो सुप्रीम कोर्ट ने पटाखें जलाने पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है. हालांकि कुछ राज्यों ने एक तय समय-सीमा के अंदर ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल करने की अनुमति दी है.

दो वर्ष तक कोविड-19 संक्रमण के कारण दीपावली, छठ पर्व और नववर्ष पर आतिशबाजी कमी हुई थी। इस बार आतिशबाजी अधिक होने की संभावना को देखते हुए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है।

इस वर्ष दीपावली, छठ व गुरुपर्व पर दो घंटे रात आठ से दस बजे तो क्रिसमस और नववर्ष के दिन मध्य रात्रि 11:55 से 12:30 बजे तक मात्र 35 मिनट ही पटाखे फोड़े जा सकेंगे। इसके साथ ही बोर्ड ने पटाखों की ध्वनि सीमा भी निर्धारित की है।

बोर्ड के अनुसार राज्य के सभी जिलों के बेहतर और संतोषप्रद श्रेणी में आने वाले शहरी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता स्तर की सीमा 125 डेसिबल से कम होगी। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पटाखे फोड़ने को लेकर समय-सीमा निर्धारित करने की गई है।

बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय धनबाद के अनुसार पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी दो घंटे ही पटाखे फोड़ने की इजाजत मिलेगी। रात्रि आठ से दस बजे तक ही आतिशबाजी की जा सकेगी। रात्रि दस बजे के बाद पटाखा जलाने पर रोक होगी। इसके लिए बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला दिया है।

वहीं बात यदि जबलपुर की करें तो, दो साल बाद कोरोना संक्रमण से राहत के बाद आई दिवाली पर इस बार जबलपुरवासियों को पटाखे फोड़ने में कुछ नियमों का पालन करना होगा। इस संबंध में प्रशासन की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है।

प्रशासन का कहना है कि, इस बार शहरवासियों को गाइडलाइन का पालन करते हुए पटाखे जलाने होंगे पाएंगे। साथ ही, इसमें कुछ पटाखों पर पाबंदी बी लगाई गई है। आदेश के अनुसार, इस बार दिवाली पर जबलपुर में कम आवाज के पटाखे ही फोड़े जा सकेंगे।

प्रशासन ने 125 डेसिबल से अदिक आवाज करने वाले पटाखों को प्रतिबंधित किया है। गाइडलाइन में ये भी कहा गया है कि, शहर के साइलेंट जोन जैसे अस्पताल, शिक्षण संस्थान, न्यायालय और धार्मिक स्थलों के आसपास पटाखे जलाने पर प्रतिबंध होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल भी दिल्ली में दिवाली पर पटाखे जलाने पर पूरी तरह से बैन लगाया है. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर पटाखों पर बैन को संस्कृति के खिलाफ बताया था. लेकिन कोर्ट ने मनोज तिवारी की याचिका को खारिज करते याथास्थिति को बरकरार रखा.

दिल्ली सरकार ने पटाखों के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया हुआ है. अरविंद केजरीवाल सरकार ने पटाखों पर बैन की घोषणा की है. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने एक ट्वीट में कहा, “दिल्ली में 1 जनवरी 2022 तक पटाखे रखने, बेचने और बनाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. इसके साथ ही रटाखों के ऑनलाइन बिक्री और डिलिवरी पर भी बैन रहेगा.”

इसके अलावा, यूपी की योगी सरकार ने पिछले साल वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर बैन लगा दिया था. हालांकि इस साल अभी तक कोई नई गाइडलाइन नहीं आई है. पिछली दीपावली पर उत्तर प्रदेश में केवल हरित पटाखों की बिक्री और उसे जलाने की अनुमति दी गई थी.

एनसीआर में किसी भी तरह के पटाखों की बिक्री या जलाने पर पाबंदी लगाई है.
ग्रीन पटाखों से सामान्य पटाखों की तुलना में प्रदूषण काफी कम होता है क्योंकि इसे खास तरह से तैयार किया जाता है। यह दिखने में तो सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनमें एल्युमीनियम, बेरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन जैसे प्रदूषण वाले रसायन का इस्तेमाल काफी कम किया जाता है।

आजकल कुछ ग्रीन पटाखों ऐसे भी आते हैं जिनमें इन रसायनों का बिल्कुल इस्तेमाल ही नहीं होता है।

ग्रीन पटाखे साल 2018 में पेश किए गए थे। इसमें ऐसे कच्चे माल का इस्तेमाल होता है जिसे पर्यावरण पर कम प्रभाव डले। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, ग्रीन पटाखों से नियमित पटाखों की तुलना में 30 फीसदी कम प्रदूषण होता है।

इसके अलावा, ये पटाखे शोर भी काफी कम मचाते हैं। ग्रीन पटाखों में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले नुकसानदायक कैमिकल नहीं होते।

इसलिए इनकी मदद से वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सकता है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा विकसित, ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों की तुलना में 30 फीसदी कम प्रदूषण उत्सर्जित करते हैं।