द एलिफेंट व्हिस्पर्स को ऑस्कॉर अवॉर्ड मिलने से हर तरफ इसकी चर्चा हो रही है, द एलिफेंट व्हिस्पर्स को डॉक्यूमेंट्री शॉट फिल्म की कैटैगरी में ऑस्कॉर दिया गया, इस कैटैगरी में पहली बार भारत ने ऑस्कर अवार्ड जीता है।
आइए जानते हैं यह फिल्म क्यों है इतनी खास?
कार्तिकी गोंजाविल्स ने इसे डायरेक्ट किया है वही पुनीत मोगा इसे डायरेक्ट की है। कार्तिकी और पुनीत की जोड़ी ने 40 मिनट के फिल्म में इंसान और जानवर के के बीच रिश्ते को बेहतरीन ढंग से दिखाया है। इस फिल्म को बनाने में पूरे पाँच साल लगा।
द एलिफेंट व्हिस्पर में रघु (हाथी का बच्चा) की कहानी है,रघु के माँ की करंट लगने से मौत हो गई। वन विभाग ने रघु को जख्मी हालात में देखा, उसके पूछ को कुत्ते ने काट खाया था, उसे तमिलनाडु के मधुमलाई टाइगर रिजर्व स्थित थेप्पकाडु एलिफेंट कैंप में रखा गया, इस कैंप में अनाथ बिछड़े हुए हाथी को रखा जाता है।
रघु को जब इस कैंप में लाया गया तो वह काफी कमजोर और बीमार था। रघु के देखभाल का जिम्मा बोमन और बेली को दिया गया. बोमन की फैमिली पुश्तों से हाथियों की देखभाल करती आ रही है, वही बेली के पति को बाघ खा गया और उसकी बेटी की भी मौत हो गई।
डायरेक्टर कार्तिकी गोंजाल्विस ने पाँच साल तक रघु और बोमन, बेली के लाइफ को करीब से देखा और हर छोटे बड़े मोमेंट को रिकॉर्ड किया। कुल 450 घंटे की फुटेज तैयार हुई और 40 मिनट को तैयार किया गया और इसकी स्ट्रीमिंग 8 दिसम्बर 2022 को नेटफ्लिक्स पर की गई।
बोमन और बेली ने रघु की अपने बच्चे की तरह देखभाल की।
बेली कहती है कि ‘रघु बिल्कुल मेरे बच्चे की तरह है, जब रघु मुझसे पहली बार मिला तो मुँह में दवाकर मेरी साड़ी खींच रहा था, बिल्कुल किसी बच्चे की तरह।

इस फिल्म में भी दिखाया गया है कि बेली और बोमन रघु को खाना खिला रहे हैं, वह बच्चे की तरह नखरे कर रहा है, उसे जौ के गोले खिलाये जा रहे हैं लेकिन रघु बाल्टी में रखी नारियल और गुड़ के लड्डी खाना चाहता है।
द एलिफेंट व्हिस्पर में दिखाया गया है कि जानवर में भी सभी इमोशन होते हैं, इन्हे भी हंसी,खुशी, उदासी महसूस होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि ये बोल नहीं सकते हैं।
इसमें जानवर के प्रति प्यार के अलावा नेचर की अहमियत को भी दिखाया गया है। कैसै हम अंधाधुन विकास के दौर में प्रकृति और मासूम पशु पक्षियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. हम नेचर से लाभ तो उठा रहे हैं तो उन्हे बचाने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है।
इस डॉक्यूमेंट्री शॉट फिल्म में दिखाया गया है कि गर्मियों में जंगल सूखने की वजह से पशुएँ चारा पानी के लिए परेशान हो जाते हैं, चारा पानी के बौखलाहट में हाथियों का झुंड गाँव की ओर रुख करने लगते हैं इस दौरान कई अपने साथी से बिछड़ जाते हैं तो कई की मौत हो जाती है।
इस डॉक्यूमेंट्री शॉट फिल्म के डॉरेक्टर ने रघु के इमोशन को समझने के लिए बेबी एलिफेंट से दोस्ती की, उससे दोस्ती करने में लगभग एक साल का समय लगा।