एक कहावत तो आप सभी ने सुनी होगी। करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान रसरी आवत जात ते , सिल पर पड़त निशान। जिसका मतलब होता है कि अगर आपने किसी काम को करने की ठान ली है तो बस उसे करते रहिए।
जिसके दम पर आप एक दिन असफलता के माथे पर कील ठोककर सफलता पा सकते हैं। ऐसी ही कुछ कहानी है भारत के तेज गेंदबाज इरफान पठान की।
क्रिकेट किट खरीदने के भी नहीं थे पैसे
जिनके पास क्रिकेट के किट खरीदने के भी पैसे नहीं थे। लेकिन उसके बावजूद उन्होंने सफलता की सीढ़ी चढ़ी। लंबा कद, शानदार एक्शन, तेज रफ़्तार ऊपर से खब्बू गेंदबाज़ किसी भी बल्लेबाज के लिए खेलना मुश्किल था।
पाकिस्तानी क्रिकेटर ने कहा इरफान जैसे गेंदबाज यहां पर गली गली में खेलते हैं
जिसकी स्विंग होती गेंद विकेट को चूमते हुए बल्लेबाज़ों को पवेलियन का रास्ता दिखा देती।
जिनके शुरूआती दौर में पाकिस्तान के क्रिकेटर रहे जावेद मियांदाद ने कहा था कि इरफान जैसे गेंदबाज़ पाकिस्तान की गली-गली में खेलते हैं।

हालांकि, उनके इसी बयान के बाद मार्च 2004 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए मुकाबले में इरफान ने 3 मैच में 8 विकेट हासिल किए थे। उन्होंने अपने इस प्रदर्शन से जावेद को करार जवाब दिया था।
बेहतरीन ऑलराउंडर के तौर पर बनाई अपनी पहचान
एक गेंदबाज़ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले इरफान ने बाद में एक बेहतरीन ऑलराउंडर के तौर पर क्रिकेट जगत में अपनी पहचान बनाई। उनके क्रिकेट करियर में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला।

वहीं इरफान एक दिग्गज क्रिकेटर होने के साथ ही नेक दिल इंसान हैं। वो अक्सर अपने बड़े भाई युसूफ़ पठान के साथ कई बार लोगों की मदद करते हुए देखे जाते हैं। फिर वो कोरोना महामारी हो, या गुजरात में आए बाढ़ के दौरान ज़रूरतमंद लोगों की मदद हो।
ऐसे तमाम मौके आए जब इरफान ने जरूरतमंदों की मदद की। कोरोना संकट में ही उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी के एक मोची दोस्त की आर्थिक मदद कर इंसानियत की मिसाल पेश की थी।
फिर जिस शख्स का बचपन ही गरीबी में गुजरा हो। वो दूसरों की परेशानियों को अच्छी तरह से समझ सकता है।
भारत के लिए सबसे तेज 100 विकेट लेने का रिकॉर्ड भी इरफान के नाम
आपको बता दें भारत के लिए सबसे तेज 100 विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज इरफान पठान का जन्म 27 अक्टूबर 1984 को गुजरात के बड़ौदा में एक गरीब परिवार में हुआ था।
इनके पिता महमूद पठान मस्जिद में मुअज्ज़िन का काम करते थे। इरफान के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। मस्जिद के पीछे बने एक छोटे से कमरे में इरफान का बचपना गुजरा।
गरीब माता-पिता अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर एक इस्लामिक इस्कॉलर बनाना चाहते थे। लेकिन, इरफान ने अपनी दुनिया कहीं और ढूंढ ली थी। उन्हें बचपन से ही क्रिकेट का जुनून था।

वो पहले परिवार से छुप-छुपाकर क्रिकेट खेलने जाते थे। बाद में जब परिजनों ने अपने काबिल बच्चे की क्रिकेट के लिए उसकी लगन और मेहनत देखी तो मना नहीं कर सके।
उसके बाद गरीब पिता ने बेटे के लिए जो बना वो किया। इरफान भी अपना पूरा फोकस क्रिकेट पर करने लगे। लगातार 6-6 घंटे तक चिलचिलाती धूप में उन्होंने जमकर पसीना बहाया।
सेकंड हैंड क्रिकेट किट से खेलते थे इरफान
उनके जुनून के सामने गरीबी भी रुकावट नहीं बन सकी। इरफान बता चुके हैं कि उनके पास इतने पैसे नहीं होते थे कि वे और उनके भाई युसूफ नए क्रिकेट किट खरीद सके।
इसके लिए उन्होंने कई सालों तक सेकेंड हैंड क्रिकेट किट का इस्तेमाल किया। लेकिन उनके हाथ में नई गेंद बल्लेबाजों के लिए घातक रूप ले लेती थी। तब उन्हें भी शायद नहीं पता रहा होगा कि भविष्य में ये स्विंग होती नई गेंद इतिहास में दर्ज हो जाएगी।
पूर्व भारतीय कप्तान दत्ता गायकवाड़ ने दी थी इरफान को ट्रेनिंग
आपको बता दें इरफान पठान को पूर्व भारतीय कप्तान दत्ता गायकवाड़ ने ट्रेनिग दी थी। तप कर निकले इरफान छोटी उम्र में ही बड़ौदा टीम से प्रथम श्रेणी मैच में खेलना शुरू कर दिया था।

वो गेंदबाजी के साथ साथ बल्लेबाजी भी कर लेते थे। इरफ़ान ने 13 साल की छोटी उम्र में जूनियर क्रिकेट में अपना कदम जमाया था।
उन्होंने अंडर- 14, अंडर- 15, अंडर-16 और अंडर-19 टीमों में खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया। उन दिनों इरफ़ान बल्ले और गेंद दोनों से शानदार प्रदर्शन कर रहे थे।
2003 में भारतीय टीम में चुना गया
घरेलू मैचों में शानदार प्रदर्शन के बाद दिसंबर 2003 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए सीरिज़ में इरफान पठान भारतीय क्रिकेट टीम में चुन लिया गया।
यहां पर गौर करने वाली एक और बात है दरअसल 19 साल के युवा गेंदबाज को ये अवसर भारत के प्रमुख गेंदबाज रहे जहीर खान के चोटिल होने के बाद मिला था। उस सीरीज में इरफान का प्रदर्शन शानदार रहा था।
जिसका इनाम उन्हें भविष्य में एक के बाद एक सीरिज में मौके के रूप में मिला। उन्होंने अपनी क़ाबलियत का लोहा हर किसी को मनवाया। एक शानदार ऑलराउंडर के तौर पर उन्होंने भारत को कई मैच जिताने में अहम भूमिका निभाई।
टेस्ट मैच में पहले ओवर में ही हैट्रिक लेने का रिकॉर्ड बनाया
इंटरनेशनल क्रिकेट में उन्होंने कई रिकार्ड्स बनाए। इरफान टेस्ट मैच में अपने पहले ही ओवर में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज बने। आपको बता दें ये रिकॉर्ड इरफान ने पाकिस्तान के खिलाफ बनाया था।
दरअसल इस मैच में पाकिस्तान के बिना कोई रन बने 3 विकेट गिर चुके थे। सबसे तेज 100 विकेट लेने वाले भारतीय तेज गेंदबाज का कारनामा भी इनके नाम पर ही है।
2020 में इरफान ने क्रिकेट से सन्यास लिया
अपने उतार चढ़ाव करियर के बावजूद इरफान ने करोड़ों भारतीयों और क्रिकेट फैंसों के दिल में अपनी जगह बनाई। इरफान के हाथ से छूटी गेंद स्विंग होकर इतिहास में दर्ज हो गई।
फिर 4 जनवरी 2020 को इरफान ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेटों से संन्यास ले लिया। उन्होंने जिस तरह से गरीबी से निकलकर एक ऊंचा मुकाम हासिल किया वो दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
क्रिकेट जगत में एक दिग्गज ऑलराउंडर रहे इरफान पठान व्यक्तिगत जीवन में एक नेक दिल इंसान हैं। अक्सर उन्हें सामाजिक कार्यों में दूसरों की मदद करते हुए देखा जा सकता है।