मतदाता पर्चियों के नहीं बांटने और बूथ बदले जाने की जानकारी वोटरों तक नहीं पहुंचने के पीछे बड़ी वजह केंद्रीय कर्मचारी हैं। राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह का कहना है कि भोपाल में बहुत सी जगहों पर केंद्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद 1600 कर्मचारियों की ड्यूटी हटानी पड़ी। उनकी जगह नए आदमी लाने पड़े, जिससे काफी कंफ्यूजन की स्थिति बनी। इसमें समय लगा।
आखिरी वक्त पर उनके हटने से कुछ भूल-चूक हुई होगी, जो नहीं होनी चाहिए थे। इसे चैक करा रहे हैं। वोटर लिस्ट में नहीं होने, बूथ बदलने और मतदाता पर्ची नहीं बांटने की वजह से कई लोग वोट नहीं डाल पाए। इसे लेकर सियासी बवाल मच गया है। सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा ने इसे लेकर गुरुवार को राज्य निर्वाचन आयोग पहुंचकर अपनी बात रखी। इसके बाद आयोग ने भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया से जानकारी मांगी है।
आयुक्त सिंह ने यह बात जरूर उठाई कि जब वोटर लिस्ट का प्रारूप सामने लाते हैं तब स्टैंडिंग कमेटी की बैठक होती है। इसमें राजनीतिक दल आते हैं। उन्हें इसकी कॉपी दी जाती है। उनकी तरफ से वोटर लिस्ट के प्रभारी दिए जाते हैं, ताकि गड़बड़ी पर उसे सुधारा जा सके। वे आपत्ति दर्ज कराते हैं। उनका शत-प्रतिशत निराकरण करने के बाद ही अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होती है। भाजपा की ओर से भोपाल के संबंध में एक पत्र दिया गया है। उसे चैक कराएंगे।