प्राइस कैपिंग का अर्थ किसी उत्पाद का एक निश्चित मूल्य तय कर देना होता हैं, जिसके बाद उस उत्पाद को अगर उस रेट से ज्यादा या कम कीमत पर खरीदा जाता है तो कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता हैं।

लेकिन इस बार पहले के मुकाबले उल्लंघन करने वालों को काफी छूट भी दी गयी है। जहाँ पहले उल्लंघन करने पर जहाजों पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगता था, वहीं अब इसे केवल 90 दिन का कर दिया है।

भारत पर भी रुसी तेल पर कैपिंग का दबाब बनाया जा रहा हैं, लेकिन भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने कहाँ है कि जब प्राइस कैप होगा तब देखा जाएगा, पहले से इसका डर ठीक नहीं है।

लेकिन मंत्री के बयान के इतर दुनिया की बड़ी रिफाइनिंग कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 5 दिसंबर के बाद का कोई भी आर्डर नहीं दिया है। चीन में कोविड-19 के प्रकोप को रोकने के लिए लागू किए गए प्रतिबंधों सहित अन्य कारणों से कच्चे तेल की मांग और कीमतें प्रभावित हुई हैं.

कच्चे तेल की कीमतें युद्ध के दौरान अपने उच्चतम स्तर से काफी नीचे हैं. रूसी उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने मूल्य सीमा लागू होने से कुछ पहले टेलीविजन पर कहा, ”हम केवल उन देशों को तेल और तेल उत्पाद बेचेंगे, जो बाजार की शर्तों पर हमारे साथ काम करेंगे, भले ही हमें कुछ हद तक उत्पादन कम करना पड़े.

” इधर रूस के खिलाफ नए पश्चिमी प्रतिबंधों के असर को लेकर अनिश्चितता के बीच सऊदी के नेतृत्व वाले ओपेक और अन्य संबद्ध तेल उत्पादकों (OPEC+) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए तेल आपूर्ति के अपने लक्ष्य को नहीं बदला है.

इन देशों में रूस भी शामिल है. ओपेक और अन्य संबद्ध देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों की रविवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया. यह फैसला ऐसे वक्त में किया गया, जब सोमवार से रूस के तेल पर मू्ल्य सीमा लागू होने जा रही है.

रुसी राष्ट्रपति पुतिन ने इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी से मुलाकात के दौरान बातचीत में कहा कि पश्चिमी देशों की तरफ से लाया गया प्राइस कैप बाजार सिद्धांतों का उल्लंघन है।

इससे विश्व के ऊर्जा बाजार पर गंभीर संकट आ सकता है। यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है। भारत को रूस से तेल की खरीदारी पर छूट मिल रही है। अमेरिका व पश्चिमी देशों के विरोध के बावजूद भारत और रूस के बीच तेल की लेन-देन जारी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगर रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाया जाता है तो उससे भारत भी प्रभावित होगा।