महाराष्ट्र के सियासी संग्राम में सोमवार को एक बड़ा मोड़ आया। सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई तक बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने पर रोक लगा दी। शिंदे गुट के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जब डिप्टी स्पीकर के खिलाफ खुद अविश्वास का प्रस्ताव है, तो वो कैसे किसी अन्य को अयोग्य ठहरा सकते हैं। उधर, शिंदे गुट बार-बार अपने साथ संख्या बल होने दावा कर रहा है।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब शिंदे गुट और BJP को मिलाकर बहुमत है, तो ये लोग राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट की मांग क्यों नहीं कर रहे? उद्धव सरकार की बजाय NCP के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल के पीछे क्यों पड़े हैं?