पिछले दिनों अडाणी ग्रुप के शेयर लगातार गिरने लगे।वजह थी हिडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट, इस रिपोर्ट के आने के बाद अडाणी ग्रुप के कंपननियों के शेयर गिरने लगे,
हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप पर अकाउंटिंग फ्रॉड, स्टॉक प्राइस मैनिपुलेशन जैसै आरोप लगाए।
अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर 50 % तक गिर गए था।
इस रिपोर्ट आने से पहले अडाणी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे, इस रिपोर्ट आने के कुछ समय बाद ही वे टॉप 20 से भी बाहर हो गए।
अब अडाणी इस संकट से कैसै निकलेगें, यह देखने लायक है।
आइए जानते हैं रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरु भाई अंबानी इस स्थिति से कैसै निकली थी।
अडाणी की तरह धीरुभाई अंबानी के शेयर भी गिर गए थे लेकिन वे अपने चतुराई से इस मुश्किल से निकल गए बल्कि शेयर गिराने वालों का भी नुकसान कराया।
ऑस्ट्रेलिया के पत्रकार हामिश मैक्डोनाल्ड की किताब “अंबानी एंड संस और गीता पीरामल की किताब ‘बिजनेस महाराजास ‘ में काफी अच्छे तरीके से एक्सप्लेन किया गया है।

आइए जानते हैं पूरी कहानी
साल 1977 में रिलायंस शेयर बाजार में रजिस्टर हुआ, कंपनी ने 10 रुपए पर शेयर की तरह से 28 लाख इक्विटि जारी किया।
रिलायंस के शेयर बाजार में आते ही लोग काफी तेजी से शेयर खरीदने लगे, एक साल में ही शेयर की कीमत पाँच गुना हो गई।
साल 1982 तक कपंनी के शेयर 18 गुना बढ़ गई, एक शेयर की कीमत 186 रुपए हो गई।
अंबानी और रिलायंस की बढ़ती सफलता शेयर बाजार के दलालों से देखी नहीं गई। इसी समय रिलायंस ने डिवेंचर्स जारी किए, डिवेंचर्स खरीदने वालों के लिए इनवेस्टर को कर्ज देने के बदले तय ब्याज मिलता है।
तभी अचानक रिलायंस के शेयर गिरने लगे।18 मार्च 1982 को रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 131 रुपए पर से 121 आ गया।शेयर बाजारों के दलालों ने 3.5 लाख शेयर शॉट सेलिंग के जरिए बेच दिए,आपकों बता दें कि शॉट सेलिंग शेयर बाजार से मुनाफा एक तरीका है, शेयर के खरीद को अधिक कीमत पर बेचने वाले इनवेस्टर को बुल कहा जाता है, जो इनवेस्टर कीमत गिराकर मुनाफा कमाने वाले को बियर कहते हैं।
कोलकता के बियर्स ने रिलायंस के शेयर दूसरे इनवेस्टर से उधार खरीदकर बेचने लगे।इस उधार लिया शेयर को तय समय पर लौटाना होता है, तय समय पर उधार शेयर नहीं पर 50 रु. प्रति शेयर हर्जाना देना होता है।

रिलायंस शेयर में आते कमी को देखकर ऐसा लगने लगा कि धीरुभाई अंबानी की कंपनी डुब जाएगी। लेकिन धीरुभाई ने बड़ी चतुरता से इस मामले को संभाला, उन्हे खबर को मिल गई थी कि कोलकता के बियर्स शेयर को जानबूझकर गिरा रहे हैं।
तभी अंबानी ने दुनिया के टॉप बुल इनवेस्टर से संपर्क किया और बुल इनवेस्टर ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर खरीदने लगे।जितना शेयर बियर इनवेस्टर बेचते उससे अधिक शेयर अंबानी के बुल इन्वेस्टर खरीदने लगे।
अंबानी को पता था कि रिलायंस के शेयर एक हफ्ते के वादे पर शॉट सेलिंग की जा रही है। अंबानी ने इस बात का ध्यान रखा कि इन सात दिनों में शेयर की कीमत अधिक नहीं गिरे।सात दिनों के बाद बियर इनवेस्टर को शेयर देने पड़ते या हर्जाना देना पड़ता।
बुल इनवेस्ट ने रिलायंस के 11 लाख शेयर खरीद लिए, कंपनी का शेयर 131 रुपए से अधिक बढ़ गया और बियर इनवेस्टर अपने बनाए गए जाल में ही फँस गए।
इस मामले को सुलझाने के लिए शेयर गिराने वाले बियर इन्वेस्टर ने बुल इनवेस्टर से समय मांगा, लेकिन उन्होने मना कर दिया। तब जाकर शेयर बाजार के अफसरों ने इस मामले को सुलझाया। उस समय 3 दिनों तक शेयर बाजार बंद रहा था।
इससे लड़ाई में रिलायंस के निवेशकों को अच्छा लाभ हुआ था।
तो इस तरह अंबानी ने अपनी चतुराई से कंपनी को संकट से बचाया, हलाकिं यह पता नहीं चल पाया कि ये बुल इनवेस्टर कौन थे, रिपोर्टस के मुताबिक पिकासों और लोटा नाम के कंपनी इनवेस्ट किया था।