एक ऐसा ट्रेलर जो चींटी की भी चाल से धीमा चलता है आखिर ये ट्रेलर इतना धीरे क्यों चल रहा है इसका कारण हम आज आपको बताएंगे। दरअसल एक साल में 550 किलोमीटर लंबे रोमांचक और खतरों से भरा सफर तय करने के बाद दो बड़े रिएक्टर बाड़मेर की सीमा में प्रवेश कर चुके हैं। इन्हें लाने के लिए 832 टायरों वाले 2 ट्रेलरों को खींचने के लिए 5 ट्रकों का इस्तेमाल किया गया। इनकी चाल चींटी से भी धीमी है। चींटी हर घंटे औसतन 3 किलोमीटर की रफ्तार से चलती है, लेकिन ये दोनों ट्रेलर एक दिन में सिर्फ 5 किलोमीटर ही चलते हैं।
यानी इनका वजन इतना है कि उसे खींचने के लिए 16 पहियों वाले 52 ट्रेलर जितनी ताकत का इस्तेमाल किया जा रहा है। गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से ये ट्रक करीब 11 महीने पहले नवंबर 2021 को रवाना हुए थे। इन पर दो रिएक्टर लदे हैं। दोनों रिएक्टरों का वजन 1908 मीट्रिक टन है। एक मीट्रिक टन 1000 किलोग्राम के बराबर होता है। दोनों ट्रेलरों को नर्मदा नदी पार कराने में ही 4 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े।
जैसे ही ये रिएक्टर बाड़मेर जिले में पहुंचे तो देखने और सेल्फी लेने वालों की भीड़ जमा हो गई। हर किसी के मन में यही सवाल था कि इतने विशालकाय रिएक्टर आखिरकार कहां जा रहे हैं और इसका कारण क्या है?
आपको बता दें इन रिएक्टर को लाने के दौरान करीब 30 अस्थाई सड़क बनाई गई हैं। करीब 15 अस्थाई सड़कें और बाइपास तो राजस्थान में बनाए गए।
गुजरात के भरूच में तैयार हुए BS-6 स्टैंडर्ड के एक रिएक्टर का वजन 1148 मीट्रिक टन है, जबकि दूसरे का वजन 760 मीट्रिक टन। इतने बड़े रिएक्टर को पोर्ट में लगी क्रेनों के जरिए दो अलग-अलग ट्रेलरों पर शिफ्ट किया गया।
आपको बता दें रिफाइनरी के कार्य का शुभारंभ 16 जनवरी 2018 को हुआ था और अक्टूबर 2022 तक प्रोजेक्ट पूरा होना था। लेकिन अभी तक 25 फीसदी काम ही पूरा हुआ है। शेष काम मार्च 2024 तक पूरा करने का टारगेट है। कोरोनाकाल में धीमी गति से काम होने और महंगाई बढ़ने की वजह से 43,129 करोड़ के बजट वाला प्रस्तावित प्रोजेक्ट अब 75 हजार करोड़ पहुंच गया है।
1908 मीट्रिक टन से ज्यादा वजनी ये रिएक्टर देश की सबसे एडवांस रिफाइनरी पचपदरा में इंस्टॉल होंगे। इन बॉयलर का इस्तेमाल क्रूड ऑयल को रिफाइन करने के काम में लिया जाएगा। अभी ये रिएक्टर नगर क्षेत्र के भटाला गांव के करीब हैं। इन्हें पचपदरा तक पहुंचने में करीब एक महीना और लगेगा।