भगत सिंह, नाम सुनते ही हैट पहने हुए खड़ी मूछों वाले नौजवान की तस्वीर आखों के सामने आती है। इस तस्वीर को खींचने की कहानी भी दिलचस्प है। सेंट्रल असेंबली बम धमाके से 4 दिन पहले, यानी 4 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त पुलिस की नजरों से बचते हुए दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित रामनाथ फोटोग्राफर्स पहुंचे। हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के मेंबर जयदेव कपूर ने फोटोग्राफर को खास हिदायत दी- ‘हमारा दोस्त हमसे दूर जा रहा है, हमें उसकी एक बहुत अच्छी तस्वीर चाहिए।’
भगत सिंह जब स्टूडियो पहुंचे तो उन्होंने खाकी रंग की कमीज और सिर पर फेल्ट हैट लगाया हुआ था। इसी पोशाक में वे बम धमाके को अंजाम देने वाले थे। उनके दिमाग में कांड को अंजाम देने के साथ उसकी अखबारों में कवरेज का भी खाका खिंच गया था। ये भगत सिंह के ही दिमाग की उपज थी। वो क्रांतिकारी गतिविधियों की जिम्मेदारी लेते हुए इसे आम आदमी तक पहुंचाना चाहते थे।