अभी हिन्दी पंचांग का आठवां महीना कार्तिक चल रहा है, इस महीने में दीपावली, छठ पूजा, देवउठनी एकादशी जैसे उत्सव मनाए जाते हैं।

कार्तिक मास से मौसम में ठंड बढ़ने लग जाती है। ठंड के दिनों में धर्म-कर्म के साथ ही खान-पान के संबंध में विशेष सतर्कता रखनी चाहिए।

सेहत सही रहेगी, तभी हम उत्सवों का आनंद ले पाते हैं। इन दिनों में किए गए जप-ध्यान से एकाग्रता बढ़ती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक जब ऋतु परिवर्तन का समय रहता है तो खान-पान के संबंध में की गई लापरवाही बीमार कर सकती है।

अभी वर्षा ऋतु के जाने के बाद शीत ऋतु की शुरुआत हो रही है। इन दिनों में खान-पान में ऐसी चीजें शामिल करें, जिनकी तासीर गर्म होती है और ठंड के दिनों में हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है।

इन दिनों में गर्म दूध का सेवन करें। मौसमी फल खाएं। सूखे मेवों का सेवन करें। गर्म सूप पिएं। रोज सुबह जल्दी उठकर जप-ध्यान करें।

22 अक्टूबर से पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत हो जाएगी। इस बार दीपावली (24 अक्टूबर) के अगले दिन सूर्य ग्रहण (25 अक्टूबर) होने की वजह से गोवर्धन पर्वत की पूजा 26 तारीख को की जाएगी। 27 तारीख को भाई दूज मनाई जाएगी।
धनतेरस पर भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है। इसी तिथि पर समुद्र मंथन से धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। ये दिन पूजा-पाठ के साथ सेहत का महत्व बताता है।

कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं। इस दिन घर-परिवार में लक्ष्मी कृपा बनाए रखने की कामना से लक्ष्मी पूजन किया जाता है।
त्रेता युग में इसी तिथि पर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। इस वजह से पूरी अयोध्या में दीपक जलाए गए थे। ये पर्व अंधकार में प्रकाश फैलाने का संदेश देता है। जिन लोगों के जीवन में धन, कपड़े, शिक्षा, खाने-पीने की चीजों अभाव है, उनकी मदद करें।

ये पर्व प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का संदेश देता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू की थी, क्योंकि यही पर्वत और इस पर्वत की साग-सब्जियां, वनपस्तियां यहां की गायें खाती थीं। गायों के दूध-दही, मक्खन से गोकुल-वृंदावन के लोगों की जीविका चलती थी। हमें भी प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और इसका गलत उपयोग करने से बचना चाहिए।