फीफा विश्व कप 2022 में हमें बहुत रोमांचक मुकाबले देखने को मिल रहे हैं। इस बार ये वर्ल्ड कप उलटफेर वाला वर्ल्ड कप रहा है। फुटबॉल के इस महाकुंभ में इस बार 32 टीमों ने हिस्सा लिया।
फीफा वर्ल्ड कप में भारत की टीम भले ही न हो, लेकिन फुटबॉल का क्रेज भारत में बहुत ज्यादा है। भारत में फुटबॉल के दीवाने ब्राजील, फ्रांस और मेसी के नेतृत्व वाली अर्जेंटीना को समर्थन देने में बंटे हुए नजर आते हैं।
यहां पर एक सवाल ये भी उठता है कि भारत में जब लोगों के अंदर फीफा वर्ल्ड कप को लेकर इतना उत्साह है तो हर फिर भारत इस टूर्नामेंट में क्यों नहीं खेल रहा है।
इसके अलावा ये भी एक सवाल है कि क्या कभी भारतीय टीम ने फीफा विश्वकप में जगह बनाई है? सवाल ये भी उठता है कि ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाला देश आखिर फुटबॉल विश्व कप के लिए क्वालीफाई क्यों नहीं कर सकता?
जब भी 4 साल बाद फीफा विश्व कप का आयोजन होता है तो भारतीय प्रशंसकों के मन में यही सवाल उठता है कि भारत इस विश्व कप में कब खेलता हुआ नजर आएगा?
इन सवालों का हमेशा जवाब यही मिलता है कि भारत में ही फुटबॉल के स्तर को देखते हुए शायद ही हमें कभी विश्व कप में खेलने का मौका मिल पाएगा। लेकिन इस जवाब के पीछे का सच सामने लाया जाए तो ये उम्मीद जरूर है कि भारतीय फुटबॉल को फायदा जरूर हो सकता है।
1950 में भारत ने फीफा विश्वकप के लिए क्वालीफाई किया था
ऐसा भी नहीं है कि भारत ने कभी भी फीफा विश्वकप के लिए क्वालीफाई नहीं किया है। साल 1950 में ब्राजील में आयोजित विश्व कप के लिए टीम इंडिया क्वालिफाई कर गई थी, इसके बावजूद वो भाग नहीं ले पाई थी।
इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ये थी कि भारतीय खिलाड़ियों को उस समय नंगे पैर से फुटबॉल खेलने की आदत थी, जो उनके लिए परेशानी का सबब बन गई।
मोहम्मद अब्दुल सलीम नाम के एक भारतीय फुटबॉलर तो अपने दौर में स्कॉटिश फुटबॉल क्लब ‘सेल्टिक’ के लिए भी नंगे पैर ही खेला करते थे। लेकिन फीफा के नियम के अनुसार खिलाड़ियों को जूते पहनकर विश्वकप में खेलना था।
लेकिन भारतीय खिलाड़ी जूते पहनकर फुटबॉल नहीं खेल पाते थे और न ही इसके लिए उन्होंने कोई तैयारी की थी। यही वजह थी कि उन्होंने इस टूर्नामेंट में खेलने से इनकार कर दिया था।
सरकार ने खर्च उठाने से भी किया था मना
दूसरी वजह ये भी थी बताई जाती है कि चूंकि मैच विदेशी मैदानों पर होना था इसलिए भारतीय फुटबॉल संघ के साथ-साथ सरकार ने खर्च उठाने से मना कर दिया था।
हालांकि फीफा भारत की इस ट्रिप यात्रा का खर्च उठाने के लिए तैयार था, पर फिर भी भारत इस टूर्नामेंट शामिल नहीं हो सका था।
1950 के बाद भारत कभी नहीं कर पाया क्वालीफाई
फैन्स के लिए दुखद बात ये है कि 1950 के वर्ल्ड कप के बाद से भारतीय टीम फिर कभी इस मेगा टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई है।
फीफा रैंकिग में भी भारतीय फुटबॉल टीम की हालत पतली दिखती है और उसकी मौजूदा रैंकिंग 106 है। यानी कि वो टॉप -100 देशों में भी शामिल नहीं है।
अगर जानकारों की माने तो भारत में फुटबॉल का स्तर विश्व मानकों में काफी पीछे है। भारतीय फुटबॉल के खिलाड़ियों में न तो उस तरह का हुनर है और न ही इस मेगा इवेंट में शामिल होने की फिटनेस।
क्या भारत कभी भी फीफा विश्वकप के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाएगा?
भारत को क्वालीफाई करने के लिए सबसे पहले अपने विवाद को खत्म करना होगा। अभी कुछ समय पहले ही फीफा ने भारत को बैन कर दिया था। इसके अलावा भारत को युवा खिलाड़ियों पर निवेश करना होगा।
आपको बता दें कि फीफा वर्ल्ड के लिए क्वालीफाई करने की एक प्रक्रिया होती है, जिसके तहत किसी देश की फुटबॉल टीम को पांच राउंड क्वालीफाई करने होते हैं।
पांचवें राउंड में चौथे राउंड की विनर का मुकाबला अमेरिकन संघ की प्लेऑफ वाली टीम से होता है। दोनों टीमों में से जो भी टीम जीतती है, वो फीफा विश्वकप के लिए क्वालीफाई कर जाती है।
2026 में भारत के पास क्वालीफाई करने के लिए होगा सुनहरा मौका
वहीं फीफा विश्व कप की मेजबान टीम को टूर्नामेंट के लिए सीधे एंट्री मिल जाती है। भारत के लिए उम्मीद की जा रही है कि 2026 के फीफा वर्ल्ड कप में हमें एंट्री मिल सकती है।
क्योंकि 2026 में 32 की बजाए 48 टीमें वर्ल्ड कप में खेलेंगी और एशिया से 8 टीमों को विश्व कप के लिए चुना जाएगा। भारत इस वक्त एशियन फुटबॉल रैंकिंग में 19वें स्थान पर है।
ऐसे में और अच्छा प्रदर्शन हमें 2026 फीफा वर्ल्ड कप का टिकट दिला सकता है। लेकिन इसके लिए भारतीय टीम को खूब मेहनत करनी होगी। आपको बता दें अब तक एशिया से अधिकतम 5 टीमें ही हिस्सा ले सकती हैं।
लेकिन 2026 में इसे बढ़ाकर 8 कर दिया है। ऐसे में भारत के पास ये सुनहरा मौका है कि वो फीफा वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई कर सके।