इस बार रक्षा बंधन कुछ जगह 11 तो कहीं 12 तारीख को मनेगा। इस पर्व पर रक्षा सूत्र हर उस इंसान को बांधा जा सकता है, जो हमें मुश्किलों से बचा सके। साथ ही इस सूत्र को बांधने के पीछे भावना है कि जिस व्यक्ति को ये सूत्र बांधा जा रहा है, उसकी सभी विपत्तियों से रक्षा हो। उसके जीवन में सौभाग्य बना रहे और हर तरह की परेशानियां उससे दूर रहें। इस पर्व पर जरुरतमंद लोगों को दान देने की भी परंपरा है। ऐसा करने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि रक्षा सूत्र बहन अपने भाई को तो गुरु अपने शिष्य को, बच्चे अपने माता-पिता को, माता-पिता बच्चों को एक-दूसरे के सौभाग्य की कामना से बांधें। इस दिन अपने-अपने इष्ट देव को भी रक्षा सूत्र बांध सकते हैं।
रक्षा बंधन यानी श्रावण मास की पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान करने की परंपरा है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में नहाना चाहिए। ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों के जल को पानी में मिलाकर नहाना चाहिए। इससे तीर्थ स्नान करने जितना पुण्य मिलता है।
इस मौके पर भगवान के सामने धूप-दीप जलाएं और उनकी विधिवत पूजा करें, मंत्रों का जाप करें। पूर्णिमा तिथि से संबंधित पूजन कर्म भी करें। जरूरतमंद लोगों को दान करने का संकल्प लें। इसके बाद भोजन, कपड़े, नमक, गुड़ या अन्य जरूरी चीजों का दान कर सकते हैं।