हाल ही में, विश्व बैंक ने 2022-23 के लिए अक्टूबर 2022 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद domestic product विकास अनुमानित 6.5 प्रतिशत से 6.9 प्रतिशत तक किया है। यह भी स्वीकार किया है कि भारत के लचीलेपन में योगदान करने वाले प्रमुख factors वैश्विक व्यापार प्रवाह (Global trade flow) के लिए बड़े घरेलू बाजार और अपेक्षाकृत कम जोखिम हैं।
बाजार को नए बजट से सुधारों और tax profit की उम्मीदें हैं। बाजार को उम्मीद है कि वित्त मंत्री fiscal loss and revalues को नियंत्रण में रखते हुए विकास की रफ्तार को बनाए रखेंगी। सरकार पूरे साल के राजकोषीय घाटे( financial loss को ) GDP के 6.4% के अनुमानित लक्ष्य के भीतर रखने की कोशिश करेगी।
यह उम्मीद है कि 6.4% जीडीपी का ( fiscal deficit target) राजकोषीय घाटे का लक्ष्य इस वर्ष हासिल होने की संभावना है।
फिलहाल, विभिन्न प्रकार की कंपनियों के लिए different tax rate हैं । समानता लाने और भारत में दुकान स्थापित करने के लिए global investors को encourage करने के लिए, सभी कंपनियों के लिए 15% की कर दर पर विचार किया जाना चाहिए।
वर्तमान में, 15% कर दर को केवल नए प्रोत्साहन सुविधाओं में निवेश करने वाली कंपनियों के लिए ‘प्रोत्साहन’ as an incentive के रूप में पेश किया जा रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत को manufacturing hub के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है, हालांकि, यह भी एक fact है कि भारत में सेवा क्षेत्र में एक बढ़त है। इसलिए, हमें आगे और सर्विसेज and allied sectors के विकास को और प्रोत्साहित करना चाहिए।
अगर भारत सभी कंपनियों के लिए 15% की कॉर्पोरेट tax rates – सभी क्षेत्रों में काम करता है, तो भारत large economy में दुनिया में most competitive कॉर्पोरेट tax rates में से एक होगा।
यह OECD के pillars की आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा, जो 15% की minimum कॉर्पोरेट टैक्स rate निर्धारित करता है, जिसके लिए भारत ने अपना समर्थन किया है।
वास्तव में, यह एक गेम चेंजर हो सकता है और global MNEs भारत को एक regional hub / regional headquarters बनाने पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि वे एशिया Pacific और मिडिल east region में अपने operation का विस्तार करते हैं, customer base और talent pool को देखते हुए भारत को यह offer देना चाहिए
Adequate safeguard के बाद legal structure के बावजूद – कंपनियों के partnership आदि में सभी business के tax rates में समानता लाने की भी आवश्यकता है, ।
लोकसभा चुनाव से पहले ये आखिरी पूर्ण बजट होगा । इसके बाद साल 2024 वाला बजट अंतरिम होगा । इसलिए सरकार टैक्सपेयर्स को निराश नहीं करना चाहेगी।
हर साल बजट से पहले इंडस्ट्रीज, कॉरपोरेट्स और आम लोगों की उम्मीदें होती हैं लेकिन, सबसे ज्यादा इंतजार Taxpayers को रहता है । बढ़ती महंगाई और घटती कमाई के चलते लोगों को इस बात का इंतजार रहता है कि सरकार उन्हें Income Tax में थोड़ी राहत दे और उन्हें इन्वेस्टमेंट के लिए ज्यादा लिमिट मिले ।
अबकी बजट से भी यही उम्मीदें रहेंगी । इस बार थोड़ा अलग भी है. क्योंकि, लोकसभा चुनाव से पहले ये आखिरी पूर्ण बजट होगा ।
Tax Payers को फायदा मिल सकता है
Income Tax Payers के लिए अभी 2.5 लाख रुपए तक की सालाना इनकम टैक्स फ्री होती है । इस लिमिट को बढ़ाकर 3 लाख से 5 लाख तक किया जा सकता है । ऐसा होता है तो टैक्सपेयर्स को निवेश के लिए ज्यादा पैसा मिलेगा ।
क्या है न्यू टैक्स रिजीम का स्लैब स्ट्रक्चर?
सरकार ने बजट 2020 में न्यू टैक्स रिजीम का ऐलान किया था । लेकिन, इस व्यवस्था को लोगों को उतना रिस्पॉन्स नहीं मिला । अब सरकार इस व्यवस्था में थोड़े बदलाव करने जा रही है । बजट में इन बदलावों का ऐलान संभव है । न्यू टैक्स रिजीम को सरकार लोकप्रिय बनाने के लिए इसमें कुछ खास छूट को जगह दे सकती है ।
न्यू टैक्स रिजीम में किसी तरह के निवेश पर टैक्स छूट नहीं मिलती है । । इसमें 2.5 लाख रुपए तक इनकम टैक्स फ्री है । 2.5 लाख से पांच लाख रुपए तक की इनकम पर 5%, 5 से 7.5 लाख रुपए तक 10%, 7.5 लाख से 10 लाख रुपए तक 15%, 10 से 12.5 लाख रुपए तक 20%, 12.5 लाख से 15 लाख रुपए तक 25% और 15 लाख रुपए से ज्यादा इनकम पर 30% टैक्स लगता है।
हो सकता है कि सरकार नई और पुरानी दोनों टैक्स व्यवस्थाओं में कुछ बदलाव करे । सूत्रों की मानें तो सरकार इस पक्ष में है कि सैलरी वालों को कुछ फायदा दिया जाए ।
अभी तक न्यू टैक्स रिजीम में कोई फायदा नहीं मिलता । बस यहां टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स की दरें कम हैं लेकिन, किसी तरह की छूट नहीं है ।
माना जा रहा है नई टैक्स व्यवस्था से कम इनकम और ज्यादा इनकम वाले दोनों लोगों को नये tax rate से फायदा होगा । साथ ही सरकारी कर्मचारियों को भी अपने वेतन में बढ़ोतरी का फायदा मिलेगा जिससे महंगाई भत्ता में भी इजाफा होगा।